Mahabharat: महाभारत एक प्राचीन भारतीय साहित्य का महाकाव्य है जो हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ में से एक है. यह काव्य महाभारत युद्ध की कथा को विविधता से वर्णित करता है और भगवद गीता भी इसी काव्य का एक हिस्सा है. महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास (Vyasa) माने जाते हैं. महाभारत की कथा कुरुक्षेत्र में हुई महायुद्ध के चारित्रिक घटनाओं पर आधारित है, जिसमें पांडव और कौरव नामक दो बड़े राजकुमारों के बीच भयानक युद्ध हुआ था. इसमें धर्म, कर्म, और योग के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन है. भगवद गीता, जो महाभारत के भीष्म पर्व में आती है, वहां के युद्धभूमि के पहले दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई उपदेशों का संग्रह है और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है.
पहला दिन: दीपत्युद्धारनी पर्व (युद्ध का आरंभ)
युद्ध का पहला दिन कौरवों और पांडवों के बीच हुआ और इसे "दीपत्युद्धारनी पर्व" कहा गया.
अर्जुन और भीष्म पितामह के बीच भयंकर युद्ध हुआ.
युद्ध के पहले दिन को अश्वत्थामा, दुर्योधन, और कृपाचार्य ने पहले शिक्षा दी.
दूसरा दिन: गांधारी पर्व
दूसरे दिन का नाम "गांधारी पर्व" था, जिसमें गांधारी रानी ने श्रीकृष्ण की कही गई भविष्यवाणी को सुना.
युद्ध में भीष्म पितामह की बड़ी रथयात्रा थी और वह दुर्योधन को अद्भुत युद्ध विद्या दी.
तीसरा दिन: सैंधव पर्व
तीसरे दिन को "सैंधव पर्व" कहा गया, जिसमें धृतराष्ट्र के दुत्य ने अर्जुन को अश्वत्थामा के साथ युद्ध के लिए भेजा.
युद्ध में अर्जुन ने अश्वत्थामा के साथ दुर्योधन के समर्थन में खड़ा होने का निर्णय लिया.
चौथा दिन: विराट पर्व
चौथे दिन को "विराट पर्व" कहा गया, जिसमें विराट युद्ध क्षेत्र पर रथ चलाकर पांडवों ने अपनी विशेष योजना को शुरू किया.
पांचवा दिन: युद्ध प्रारंभ
पांचवे दिन से युद्ध का वास्तविक प्रारंभ हुआ, और यह युद्ध "भीष्म पर्व" कहलाया.
भीष्म पितामह के युद्ध में प्रदान किए जाने वाले विशेष शस्त्रों का वर्णन हुआ.
आठवां दिन: भीष्म पर्व
आठवें दिन को "भीष्म पर्व" कहा गया और इस दिन भीष्म पितामह की प्रमुख योजनाएं और उनके युद्ध कुशलता का वर्णन हुआ.
नौवां दिन: द्रोण पर्व
नौवें दिन को "द्रोण पर्व" कहा गया, जिसमें आचार्य द्रोण के युद्ध कौशल और उनकी प्रतिबद्धता का वर्णन हुआ.
दसवां दिन: युद्ध शल्य पर्व
दसवें दिन को "शल्य पर्व" कहा गया, जिसमें शल्य रथी के साथ युद्ध कौशलता और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन हुआ.
ग्यारहवां दिन: युद्ध कर्ण पर्व
ग्यारहवें दिन को "कर्ण पर्व" कहा गया, जिसमें कर्ण के वीरता और धर्म के प्रति उनका प्रतिबद्धता वर्णित हुआ.
बारहवां दिन: भगवद गीता प्रवचन
बारहवें दिन महाभारत युद्ध में भगवद गीता का प्रवचन हुआ, जो कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ.
तेरहवां दिन: युद्ध धृतराष्ट्र पर्व
तेरहवें दिन को "धृतराष्ट्र पर्व" कहा गया, जिसमें युद्ध की प्रारंभिक चरणों का विवरण दिया गया.
चौदहवां दिन: युद्ध कुरुक्षेत्र समाप्ति
युद्ध का अंतिम दिन था, जिसे "कुरुक्षेत्र समाप्ति" कहा जाता है. इस दिन दुर्योधन अपने असत्यानुवाद और विकर्ण के मारे जाने के बाद आखिरकार भीष्म पितामह से बातचीत करने के लिए गया.
इस प्रकार, महाभारत युद्ध अनेक पर्वों में बाँटा गया था और यह 18 दिन चला. युद्ध का अंत भगवद गीता के प्रवचन के साथ हुआ, जो अर्जुन को धर्म और कर्म के सिद्धांतों का उपदेश देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau