Lord Shiva & Mata Parvati Mythological Story: माता पार्वती की पूजा हर सुहागन स्त्री करती है और कुंवारी कन्याएं जो अच्छे वर की कमाना करती है वो भी इन्हें पूजती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सुहाग के आशीर्वाद के लिए माता पार्वती की ही पूजा क्यों की जाती है. माता पार्वती शिव भगवान की पत्नी हैं इस रूप में अगर आप उन्हें पूजते हैं तो आपको आज एक ऐसी पौराणिक कथा बताते हैं जिसे जानकर आप भी अगर माता पार्वती की शक्ति को नहीं समझ पाए तो समझ जाएंगे. शंकर भगवान और पार्वती माता का विवाह आसान नहीं था. एक राजकुमारी होने का बावजूद उन्हें जब भगवान शिव से प्यार हुआ तो इस बात से ना तो भगवान स्वयं तैयार हुए और ना ही पार्वती माता के परिवार में किसी ने इस बात की अनुमति दी. तो कैसे उन्हें भगवान शिव पति के रूप में मिले.
कहते हैं भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए माता पार्वती ने 108 बार जन्म लिया था. जब पार्वती के रुप में उनका जन्म हुआ तो वो राजा पर्वतराज की बेटी बनीं. एक राजकुमारी के रुप में उनका विवाह भी राजा से होना चाहिए था. लेकिन पुराणों के अनुसार नारद जी ने पार्वती को जब भगवान शिव के बारे में बताया तो वो जंगल में उन्हें पाने के लिए घोर तपस्या करने लगी. किशोरावस्था से ही उन्हें प्रेम हो गया था वो शिव के रंग में रंग चूकी थी.
अज्ञानियों को भगवान शिव जहां अघोरी दिखते थे वहीं माता पार्वती को उनकी दिव्यदृष्टि से ये ज्ञान था कि वो ही सकल सृष्टि के स्वामी हैं. जह माता पार्वती ने शिव को पति स्वरुप में पाना चाह तब उनका एक ही मंत्र था कि तपस्या या मेहनत तब तक करनी है, जब तक सफलता न मिल जाए.
उन्होंने सालों साल बिना अन्न जल से कठोर से कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से तीनों लोक थर्रा उठे. भगवान शिव ने सप्तऋषियों से माता पार्वती को समझाने के लिए भी भेजा. लेकिन उनके दृढ़ निश्चय के सामने उन्होंने भी हार मान ली.
फिर भगवान शिव स्वयं वटूवेश में उनसे मिले और उन्हें समझाने की कोशिश करने लगे. भला कैसे वो उनके साथ रह सकती हैं. भगवान शिव तो कैलाश में वास करते थे उनके पास ना धरा थी ना आकाश ऐसे में पार्वती ने किसी की एक ना सुनी और अपनी तपस्या करती रहीं.
एक दिन भगवान शिव ने हार मान ली और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को माता को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तब से महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.
तो माता पार्वती के मूल मंत्र को आप भी अगर अपने जीवन का मंत्र बना लेंगे तो ऐसा कुछ नहीं है जिसे आप हासिल नहीं कर सकते हैं.
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