Shani Hanuman Dosti: हिंदू धर्म में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है. एक ही घटना से जुड़ी कई अलग-अलग कथाएं भी पढ़ने को मिलती है. शनिदेव के क्रोध से दुनिया में हर व्यक्ति ही नहीं बल्कि भगवान भी डरते हैं. सूर्य पुत्र शनि अगर एक बार किसी पर मेहरबान हो जाएं तो उसका जीवन बदल जाता है. न्याय के देवता शनि की दोस्ती जरूरी है लेकिन ये हर किसी को आसानी से नहीं मिलती. शनिदेव और हनुमान जी की दोस्ती के बारे में कई पौराणिक कथाएं पढ़ने के मिलती है. उन्हीं में से एक कथा के बारे में हम आपको बता रहे हैं. आइए जानते हैं शनिदेव और हनुमान जी कैसे दोस्त बनें.
एक समय की बात है, आदि युग में, जब धरती पर दैत्यों और राक्षसों की आतंक थी. उस समय भगवान शनिदेव अपने अत्यंत भयंकर और विकट रूप में थे. उनका दर्शन करना सभी को व्याकुल कर देता था और लोग उनसे भयभीत हो जाते थे।
एक दिन, हनुमानजी, भगवान राम के वीर सेनानायक और भक्त, अपने भक्तों के साथ शनिदेव के मंदिर में पहुंचे. हनुमानजी ने शनिदेव की पूजा करने का निर्णय लिया और उनके समक्ष पहुंचे.
हनुमानजी की वीरता और भक्ति ने शनिदेव को प्रसन्न किया. शनिदेव ने हनुमानजी से पूछा, "तुम मुझसे क्यों नहीं डरते?" हनुमानजी ने मुस्कराते हुए कहा, "हे शनिदेव, मैं तो तारा भगवान श्रीराम के भक्त हूं और आप भी उनके अनुयायी हैं."
इस पर शनिदेव ने कहा, "तुम्हारा भक्ति और साहस मुझे प्रभावित कर रहा है. मैं तुम्हारा कृतज्ञ हूं. कहो, तुम्हें क्या चाहिए?" हनुमानजी ने कहा, "हे शनिदेव, आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे ऊपर बना रहे."
शनिदेव ने हनुमानजी को अपने आशीर्वाद से नवग्रहों से मुक्ति और सुख की प्राप्ति की वरदान दिया. उसके बाद से हनुमानजी ने शनिदेव के साथ मित्रता बढ़ाई और वे एक-दूसरे के साथ समय-समय पर मिलकर भक्तों की कल्याण की यात्रा करते रहे.
इस प्रकार, भगवान शनिदेव और हनुमानजी की मित्रता की यह पौराणिक कथा हमें यह सिखाती है कि भक्ति और सच्ची मित्रता से भगवान भी हमें अपने आसन से उठाकर आशीर्वाद प्रदान कर सकते हैं.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau