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सदगुरु जग्गी वासुदेव से जानें बच्चों की परवरिश कैसे करें

आज देश में बहुत से गुरु हैं जिनके विचार से बहुसंख्यक समुदाय प्रभावित है. ऐसे ही एक आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव हैं. जिनके विचार और मूल्य आज प्रासंगिक बने हुए हैं.  सदगुरु जग्गी वासुदेव एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु और ध्यान शिक्षक हैं. उन्होंने सूर्यशक

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Prashant Jha
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सदगुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु( Photo Credit : फाइल फोटो)

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मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में बच्चों की परवरिश एक चुनौती है. आज बच्चों की देखभाल में बहुत कुछ लापरवाही भी देखने को मिलती है. बच्चों के लालपन और देखरेख में कई बार ऐसी मुसीबतें खड़ी हो जाती है. ऐसे में लोग आध्यात्मिक मार्गदर्शन और ऊंचे विचार रखने वाले लोगों के संपर्क में जाते हैं और उनसे सीखने का प्रयास करते हैं. आज देश में बहुत से गुरु हैं जिनके विचार से बहुसंख्यक समुदाय प्रभावित है. ऐसे ही एक आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव हैं. जिनके विचार और मूल्य आज प्रासंगिक बने हुए हैं. सदगुरु जग्गी वासुदेव एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु और ध्यान शिक्षक हैं. उन्होंने सूर्यशक्ति क्रिया (Surya Kriya) और इशा क्रिया (Isha Kriya) जैसे ध्यान प्रक्रियाओं का विकास किया है. उनके शिक्षाओं में ज्ञान, आनंद और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से जीवन को समृद्ध बनाने की महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं.

वह इशा फाउंडेशन के संस्थापक गुरु हैं और उनका मुख्य ध्यान संगठन योग आध्यात्मिक संस्था के रूप में माना जाता है. उनके उपदेश और कार्य का मुख्य उद्देश्य है मानव उत्थान और समृद्धि को प्रोत्साहित करना. सदगुरु जग्गी वासुदेव के अनुसार, बच्चों की परवरिश के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए. यहां कुछ मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है.

-संवेदनशीलता और समझदारी: बच्चों के साथ संवेदनशीलता और समझदारी से व्यवहार करें. उनकी भावनाओं को समझें और उन्हें समझाएं.


- शिक्षा का महत्व: बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करें, जो उन्हें जीवन में सफलता की ओर ले जाए.


- संगठनात्मक योजना: एक संगठनात्मक योजना बनाएं और बच्चों को नियमों और अनुशासन में शिक्षित करें.


- स्नेह और सामाजिक समर्थन: बच्चों के साथ संवाद करें, उनके साथ खेलें, और उन्हें स्नेह और सहानुभूति का अनुभव कराएं.


- स्वास्थ्य और पोषण: स्वस्थ और पौष्टिक आहार प्रदान करें और उन्हें स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए प्रोत्साहित करें.


- सत्कार्य के सिद्धांत: बच्चों को सद्भावना और अन्योन्य सेवा के महत्व की शिक्षा दें.


- स्वतंत्रता और उत्साह: उन्हें अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता दें और उनके उत्साह को प्रोत्साहित करें.


- ध्यान और मनोशांति: उन्हें ध्यान और शांति के लिए अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करें. ध्यान के माध्यम से उनकी आत्म-विकास को समर्थ बनाएं.


Source : News Nation Bureau

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