Valmiki Jayanti 2024: रामायण के रचियता और हिंदू धर्म के महान महा काव्यकार महर्षि वाल्मीकि जयंती कल मनायी जाएगी. इस दिन उनके योगदान और शिक्षाओं को सम्मानित किया जाता है. महर्षि वाल्मीकि ने हमें रामायण जैसा अद्भुत महाकाव्य दिया जो भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित है. रामायण जीवन में धर्म, कर्तव्य और सत्य की महत्वपूर्ण सीख देती है. वाल्मीकि जी को आदि कवि भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने संस्कृत में महाकाव्य रामायण की रचना की थी. उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे व्यक्ति का अतीत कैसा भी हो सही मार्ग पर चलने से जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है.
रामायण की रचना कैसे हुई ? (Ramayan ki rachna kaise hui)
रामायण की रचना के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे लेकिन ऋषि नारद के साथ मुलाकात के बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और वे एक महान ऋषि बन गए. उन्होंने तपस्या और ध्यान में जीवन समर्पित किया. रामायण की रचना की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब एक दिन वाल्मीकि जी नदी किनारे बैठे ध्यान कर रहे थे. अचानक उन्होंने देखा कि एक बहेलिये ने दो पक्षी के जोड़े में से एक को मार दिया. इस दृश्य ने वाल्मीकि जी के हृदय में गहरा दुख उत्पन्न किया और उन्होंने दुखी होकर उस बहेलिये को श्राप दिया. इस श्राप के दौरान उनके मुख से जो श्लोक निकला वह संस्कृत का पहला श्लोक माना जाता है. यह श्लोक था...
"मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः.
यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्.."
इस घटना के बाद वाल्मीकि जी बहुत विचलित हुए और उसी समय भगवान ब्रह्मा उनके सामने प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने वाल्मीकि जी को आशीर्वाद दिया और कहा कि वे भगवान राम के जीवन पर आधारित एक महाकाव्य की रचना करें. उन्होंने वाल्मीकि जी को दिव्य दृष्टि दी जिससे वे राम के जीवन की समस्त घटनाओं को देख सकें. वाल्मीकि जी ने भगवान ब्रह्मा के आदेश का पालन करते हुए रामायण की रचना की, जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर रावण पर विजय और राम के अयोध्या लौटने तक की पूरी कथा का वर्णन किया गया.
रामायण में भगवान राम के आदर्श जीवन, धर्म, कर्तव्य, प्रेम, और बलिदान की महान गाथा है जो आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है. इस तरह रामायण महर्षि वाल्मीकि की तपस्या, ज्ञान और करुणा का परिणाम है, जो सदियों से मानवता को जीवन के उच्चतम मूल्यों की शिक्षा देती आ रही है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)