Importance of Charanamrit: चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत. चरणामृत भगवान विष्णु के चरणों के जल को कहते हैं. इसे कैसे बनाते हैं और चरणामृत को ग्रहण करने का सही नियम क्या है जान लें. भगावन से जुड़ी पूजा-पाठ की सभी बातों में नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. ऐसे में अगर आप अपने घर में अमृत रूपी चरणामृत बनाने के बारे में सोच रहे हैं तो आप इसकी महत्ता के बारे में भी जान लें. नवरात्रि के दिनों में सभी घरों में पूजा की जाती है. जो लोग चरणामृत बनाते हैं वो ये जान लें कि इसे ग्रहण करने का नियम क्या है.
किस बर्तन में रखें चरणामृत
तांबे के बर्तन में चरणामृत रखने से उसमें तांबे के औषधिय गुण आ जाते हैं. तुलसी पत्ता और तिल चरणामृत को पौष्टिक बना देते हैं. हमेशा तांबे के लोटे में तुलसी मिले पानी को चरणामृत में इस्तेमाल करें
चरणामृत लेने का नियम
चरणामृत पीने के बाद लोग सिर पर हाथ फेरते हैं. लेकिन पौराणिक मान्यता के मुताबिक ऐसा नहीं करना चाहिए. इससे नेगिटिविटी आती है. चरणामृत हमेशा दांये हाथ में लेना चाहिए और श्रदापूर्वक ग्रहण करना चाहिए
चरणामृत के फायदे
आयुर्वेद में अच्छा बताया गया है. तांबे के बर्तन में ज्यादा फायदा देगा. शक्ति बढ़ाता है. तुलसी में गुण हैं जो कई रोग दूर कर देता है. दिमाग को शांति मिलती है. सेहत के साथ यादाश्त भी बढ़ाता है.
तो आप भी चरणामृत से जुड़ी इस सारी जरूरी जानकारी के बाद इसके नियमों का पालन जरूर करेंगे. घर के मंदिर में स्थापित भगवान का चरणामृत हो या फिर मंदिर का. आपको कैसे लेना है ये जानकारी भी काफी महत्वपूर्ण है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau