सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा का विशेष (Hindu Worship) महत्व होता है. पूजा दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है. लेकिन, उससे भी अधिक महत्व पूजा अथवा पूजन में अर्पित करने वाले पुष्पों का होता है. पूजा के दौरान चढ़ाए जाने वाले फूल बहुत ही शुभ और पवित्र (flower to offer God) होते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा, तीज-त्योहारों पर सबसे अधिक गेंदे के फूल (marigold flowers in worship) का उपयोग ही क्यों किया जाता है? केसरिया रंग लिए बेहद खूबसूरत दिखने वाला ये फूल (gende ke phool) हर देवी-देवता को प्रिय है. इसका केसरिया रंग हिंदू धर्म से जुड़ा है. केसरिया रंग त्याग और मोह-माया को भी दर्शाता है. तो, चलिए पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदे के फूलों का महत्व (importance of marigold flowers) बताते हैं.
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गेंदा ही एक ऐसा फूल है जो अपनी पत्तियों से अंकुरित हो जाता है. माना जाता है कि ये फूल नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं. यही वजह है कि इस फूल का उपयोग तीज त्यौहार पर ज्यादा से ज्यादा किया जाता है. इस फूल को मुख्य दरवाजे पर लटकाने से बुरी शक्तियां भी दूर रहती हैं. गेंदे का फूल बेहद पवित्र फूल माना जाता है. यही वजह है कि पूजा पाठ में सबसे अधिक गेंदे के फूल ही चढ़ाए (Offering marigold Flowers) जाते हैं.
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गेंदे के फूल का महत्व
आपस में जुड़े रहना
गेंदे के फूल की अनगिनत पत्तियां एक ही बीज के सहारे आपस में जुड़ी रहती हैं, जो कि अपने आप में ही एक हैरानी की बात है.
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अहंकार को करे कम
दरअसल, इसका जवाब पौराणिक गाथाओं में उपलब्ध है. गेंदे के फूल केसरिया रंग के होते हैं जो कि त्याग और मोह-माय से दूरी को दर्शाते हैं. इनकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि गेंदे के फूल मनुष्य के अहंकार को कम से कम (marigold flower toran) कर देता है.