Brihaspati Dev ki Puja: बृहस्पति ग्रह के मंदिर के महत्व का ज्ञान वैदिक संस्कृति में विशेष महत्व रखता है. बृहस्पति ग्रह को गुरु ग्रह के नाम से भी जाना जाता है और यह ग्रह धर्म, ध्यान, ज्ञान, और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, इस ग्रह के मंदिरों में आने वाले लोग इसे पूजनीय मानते हैं. बृहस्पति ग्रह के मंदिरों में पूजा-अर्चना करने से लोगों को विवेक, ज्ञान, और बुद्धि की वृद्धि होती है. इसके अलावा, इन मंदिरों में भगवान बृहस्पति के उपासना करने से विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है और उनकी बुद्धि में वृद्धि होती है. बृहस्पति ग्रह के मंदिरों में यात्रा करने से लोगों को ध्यान और साधना का अवसर मिलता है.
इन मंदिरों में आने वाले लोग भगवान बृहस्पति के आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का अनुभव करते हैं. बृहस्पति ग्रह के मंदिरों की यात्रा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि का अनुभव होता है. इन मंदिरों में आकर व्यक्ति अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सहायक होते हैं और धार्मिक उत्साह का अनुभव करते हैं. बृहस्पति ग्रह की पूजा करने से आत्मिक शांति और मनोबल की वृद्धि होती है. इससे ध्यान और मेधा का अभ्यास करने से लोगों का मन शांत होता है और वे जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होते हैं,
बृहस्पति की पूजा का महत्व वेदों में विशेष रूप से उजागर किया गया है. बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व ज्ञान, विवेक, और धर्म के प्रतीक के रूप में किया जाता है. इसलिए, बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति को बुद्धि, शिक्षा, और धर्म की प्राप्ति होती है. बृहस्पति की पूजा के लिए प्रारंभ में पूजास्थल को शुद्ध किया जाता है और ब्राह्मणों को आमंत्रित किया जाता है. फिर पूजास्थल पर बृहस्पति ग्रह के प्रतिमा या यंत्र को स्थापित किया जाता है.
पूजा के दौरान पंचांग स्तोत्र, बृहस्पति गायत्री मंत्र और बृहस्पति स्तोत्र का पाठ किया जाता है. इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है और ब्राह्मणों को भोजन की व्यवस्था की जाती है. बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में समृद्धि, शांति, और सुख की प्राप्ति होती है.
बृहस्पति स्तोत्र का पाठ
देवनामास्तु गुरवे जुह्वति कवे दयिता परंज्योतिषम्।
नमः करोमि नमसा सहस्रिशा येनेन्दुकांत तेजसो जुषेद॥
ब्राह्मणेभ्यो गुरुश्च गुरु च ब्राह्मणेभ्य ऊर्ध्वं नमस्कृत्य पदं पुरस्तात्।
पूर्वं नमस्कृत्य स एव गुरुरुत्तमः प्रदक्षिणं ग्रहगणैर्ग्रहपीडानुहानि॥
सकलस्त्रैलोक्यविजयप्रतिपादकं गजवक्त्रं सुन्दरमूर्तिमीडे।
प्रियङ्गुरूपं नमतां सुखदं भवानीपतिं सुरगुरुं विजितेन्द्रियं॥
इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से बृहस्पति ग्रह के कठिनाईयों से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति को धन, समृद्धि, और शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है.
बृहस्पति की पूजा के द्वारा व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य, और संतान की प्राप्ति होती है. यह पूजा उन लोगों के लिए भी फायदेमंद होती है जो विवाह और नौकरी की समस्याओं से पीड़ित हैं.
बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति का मन शांत होता है और उसके जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, यह पूजा विवाहित जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau