Inspirational Story: पापी लोगों पर लक्ष्मी जी क्यों प्रसन्न रहती हैं और धर्मात्मा लोग दुखी क्यों रहते हैं? ये सवाल कई लोगों के मन में आता है. आखिर ऐसा क्यों होता है? जो लोग पूरे सच्चे मन से भक्ति करते हैं और देवी देवताओं की पूजा करते हैं उन्हीं लोगों के पास क्यों दुख आता है? आखिर इसका क्या कारण है? आज इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करेंगे. ये सवाल कई लोगों के मन में उठता है. पापी लोगों पर लक्ष्मी जी क्यों प्रसन्न रहती हैं और धर्मात्मा लोग दुखी क्यों रहते हैं? एक प्रेरणादायक कहानी के माध्यम से समझने की कोशिश करेंगे.
पापियों पर क्यों होती है देवी लक्ष्मी की कृपा ?
बहुत समय पहले की बात है. एक गांव में दो व्यक्ति रहते थे. एक का नाम था रमेश जो एक सफल व्यापारी था परन्तु वो अनैतिक और पाप वाले काम को करता था पर आर्थिक रूप से बहुत धनवान था और लक्ष्मी जी की कृपा उस पर बनी रहती थी. दूसरा व्यक्ति था हरिदास, जो एक भगवान का सच्चे मन से भक्त और धर्मात्मा था. वो हमेशा धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति था. लेकिन, वो आर्थिक रूप से बहुत परेशान रहता था. वह प्रतिदिन भगवान की पूजा करता उसके बाद ही कोई काम को करता था फिर भी लक्ष्मी जी उससे हमेशा नाराज रहती थी.
धर्मात्मा क्यों रह जाता है गरीब ?
एक दिन हरिदास जब भगवान विष्णु के मंदिर में पूजा कर रहा था, तभी मंदिर के एक साधु हरिदास के पास आए और कहा है बस तुम सच्चे मन से भक्ति और समर्पण को करते हो, तुम इतनी भक्ति करते हो, फिर भी दुखी क्यों रहते हो? इस बात को सुनकर हरिदास ने उदास मन से कहा है साधु महात्मा मैं भी यही सोचता हूं कि मैं अपने सच्चे मन से भगवान की पूजा और अपने धर्म का पालन करता हूं परन्तु, सुख समृद्धि मुझसे दूर रहती है. वहीं रमेश जो पापी है, उसपे हमेशा लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है.
आखिर इसका कारण क्या है?
हरिदास की बातें सुनकर साधु मुस्कुराए और हरिदास को बोले मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं, बहुत समय पहले की बात है. एक राज्य में एक अन्यायकारी राजा हुआ करता था. उसने अपने जीवन में कई पाप किए परन्तु उसके राज्य में सूक्ष्म वृद्धि हमेशा बनी रहती थी. दूसरी ओर एक निर्धन ब्राह्मण था जो हमेशा धर्म और सत्य का पालन करता था. फिर भी उसे हमेशा कष्ट ही मिले.
एक दिन ब्राह्मण ने अपने दुख का कारण जानने के लिए तपस्या की. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और बोले के ब्राह्मण इस जीवन में तुम जो भी भोग रहे हो वह तुम्हारे पिछले कर्मों का फल है. पापी राजा ने अपने पिछले जन्म में पुण्य किए थे, जिसका फल उसे इस जन्म में सुख समृद्धि के रूप में मिल रहा है. वहीं तुम्हें अपने पिछले जन्म के पापों का फल इस जन्म में भोगना पड़ रहा है और पापी व्यक्ति इस जन्म में अपने पुण्यों का फल भोग कर अगले जन्म में पापों का फल भुगतेगा. वहीं धर्मात्मा व्यक्ति अपने पापों का फल भोग कर अगले जन्म में सुख समृद्धि पाएगा.
कहानी खत्म करके साधु ने हरिदास से कहा, इसलिये हमें अपने वर्तमान कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और धर्म का पालन करना चाहिए. जो लोग पाप करते हैं, वे भले ही इस जन्म में सुख समृद्धि पा लेते हैं, परंतु उन्हें अपने कर्मों का फल भविष्य में अवश्य भुगतना पड़ेगा. साधु की बातें सुनकर हरिदास ने कहा कि साधु महात्मा आपकी बातों से मेरी आंखें खुल गईं. अब मैं और भी अधिक श्रद्धा और धैर्य के साथ भगवान की भक्ति करूंगा.
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और धैर्यपूर्वक धर्म का पालन करना चाहिए. सुख और दुख हमारे पिछले कर्मों का फल होते हैं और हमें सच्चे मन से भक्ति और धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source :News Nation Bureau