International Yoga Day 2023: हर साल दिनांक 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है. लेकिन योग विद्या की पद्धति बेहद पुरानी है. इसके प्रचार-प्रसार के लिए कई लोगों का योगदान है. लेकिन क्या आप जानते हैं, योग के ज्ञान को पूरे विश्व में सप्त ऋषियों ने पहुंचाया था. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि योग के प्रथम गुरु कौन थे, किसने पूरे विश्व में योग के ज्ञान को फैलाया था. योग में अगस्त्य मुनि का क्या योगदान है.
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जानें कौन थे योग के प्रथम गुरु?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्माण्ड का पहला योगी भगवान शिव को कहा जाता है. लेकिन धीरे -धीरे ये परंपरा ऋषि-मुनि के कठोर का प्रतीक बन गया. वहीं ऋषि मुनिके क्रम में प्रथम योगी महर्षि पतंजलि थे. पतंजलि ने 195 योग के सूत्रों की रचना की. जिन्हें योग-दर्शन का स्तंब कहा जाता है. इसके बाद आदि योगी ने खुद को गुरु के रूप में रूपांतरित कर अपनी योगिक विद्या के सात साधकों को देना शुरू किया. यही सात लोग ब्रह्म ज्ञानी बनें और सप्तऋषि कहलाएं.
जब सप्तऋषियों ने योग के ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाया
सप्तऋषि योग के सात मुख्य पहलू बन गए थे. इन सातों ऋषियों को सात दिशाओं में विश्व के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया. क्योंकि ये अपना ज्ञान आम लोगों तक पहुंचा सकें. इन सात ऋषियों में एक मध्य एशिया गए, दूसरे मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीकी में गए, तीसरे दक्षिण अमेरिका, चौथे पूर्वी एशिया , पांचवें ऋषि हिमालय के निचले इलाकों में गए, छठे ऋषि वहीं आदि योगी के साथ रुके थे और सातवें ऋषि ने दक्षिण दिशा में भारतीय उपमहाद्वीप के यात्रा की. दक्षिणी प्रायद्वीप की यात्रा करने वाले यही ऋषि हमारे लिए महत्वपूर्ण माने जाने जाते हैं, जिनका नाम अगस्त्य मुनि है.
जानें योग में अगस्त्य मुनि का योगदान
अगस्त्य मुनि ने आध्यात्मिक प्रक्रिया को किसी शिक्षा और परंपरा से नहीं बल्कि जीवन जीने के तौर तरीके पर व्यवहारिक हिस्सा बनाया. अगस्त्य योगी के बारे में कहा जाता है, कि उन्होंने एक भी शख्स को नहीं छोड़ा, जो पवित्र योगिक ज्ञान और तकनीक से अंजान हो. उन्होंने घर-घर में योग की प्रतिष्ठा की.