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Religious Conversion Law For Marriage: क्या भारत में शादी के लिए जरूरी है धर्म परिवर्तन, जानें क्या कहता है कानून 

Religious Conversion Law For Marriage: अगर आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं कि भारत में शादी के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी है या नहीं, तो आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Religious Conversion Law For Marriage

Religious Conversion Law For Marriage( Photo Credit : Social Media)

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Religious Conversion Law For Marriage: यह सच है कि भारत में शादी के लिए धर्म परिवर्तन अनिवार्य नहीं है.  अलग-अलग धर्मों के लोग विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत बिना धर्म परिवर्तन के शादी कर सकते हैं. अलग-अलग धर्मों में धर्म परिवर्तन को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. हिंदू धर्म में, धर्म परिवर्तन को स्वीकार किया जाता है, लेकिन इसे आवश्यक नहीं माना जाता है. ईसाई धर्म में, धर्म परिवर्तन को आस्था का कार्य माना जाता है. यह आवश्यक नहीं है, लेकिन इसे ईश्वर के प्रति समर्पण का संकेत माना जाता है. इस्लाम में, धर्म परिवर्तन को महत्वपूर्ण माना जाता है. मुस्लिम बनने के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक है. 

विवाह से संबंधित मुख्य कानून

विशेष विवाह अधिनियम, 1954: यह अधिनियम उन विवाहों पर लागू होता है जहाँ पक्षकार अलग-अलग धर्मों से हैं. इसके तहत, धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है. दोनों पक्षकारों को विवाह के समय अपने-अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है.

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: यह अधिनियम केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है. इसके तहत, अगर कोई गैर-हिंदू व्यक्ति हिंदू से शादी करना चाहता है, तो उसे शादी से पहले हिंदू धर्म में परिवर्तित होना होगा. हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2024 में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें कहा गया कि विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य करना गैरकानूनी है. यह फैसला उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के संदर्भ में दिया गया था, जो धर्म परिवर्तन को प्रोत्साहित करने या मजबूर करने को प्रतिबंधित करता है.

मुस्लिम विवाह: मुस्लिम विवाह में भी धर्म परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से धार्मिक मामला है और कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है.

धर्म परिवर्तन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

धर्मांतरण स्वैच्छिक होना चाहिए: किसी भी व्यक्ति को धमकी या दबाव में धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. यह पूरी तरह से स्वैच्छिक होना चाहिए.

धर्मांतरण के लिए प्रमाण: धर्म परिवर्तन के लिए आधिकारिक प्रमाण होना चाहिए, जैसे कि धर्म परिवर्तन प्रमाण पत्र.

नाबालिगों का धर्मांतरण: नाबालिग (18 वर्ष से कम आयु) धर्म परिवर्तन नहीं कर सकते हैं. यदि कोई नाबालिग धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे/उसे न्यायालय से अनुमति लेनी होगी.

सूचित सहमति: अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करने का निर्णय लेता है, तो उसे ऐसा करने के कानूनी और सामाजिक परिणामों के बारे में पूरी तरह से जानकारी होनी चाहिए.

कानूनी प्रक्रिया: धर्म परिवर्तन के लिए एक उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा.

भारत में, शादी के लिए धर्म परिवर्तन अनिवार्य नहीं है.  विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत,  विवाह के लिए धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है.  हालांकि, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, गैर-हिंदू को हिंदू से शादी करने के लिए हिंदू धर्म में परिवर्तित होना आवश्यक हो सकता है.  धर्म परिवर्तन हमेशा स्वैच्छिक और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए होना चाहिए. यह सलाह दी जाती है कि आप किसी भी धर्म परिवर्तन से पहले कानूनी सलाह लें और  इसके सभी पहलुओं पर  विचार करें.

यह स्पष्ट है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन भारत में अनिवार्य नहीं है.  कई कानूनी और धार्मिक पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है जो धर्म परिवर्तन से जुड़े हैं.  यह व्यक्तिगत निर्णय है और इसे बिना किसी दबाव के स्वतंत्र रूप से लिया जाना चाहिए.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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