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Jagannath Puri : भगवान जगन्नाथ की परछाई का क्या है रहस्य, जानें ये पौराणिक कथा 

Jagannath Puri : सदियों से भगवान जगन्नाथ के चमत्कारों पर भक्तों की आस्था और विश्वास बना हुआ है. एक बार जब पुरी के जगन्नाथ मंदिर में उनकी परछाई दिखनी बंद हो गयी तो इस वाक्य ने सबको हैरान कर दिया.

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Inna Khosla
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Jagannath Puri( Photo Credit : News Nation)

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Jagannath Puri : भगवान जगन्नाथ, भगवान विष्णु के पूर्ण कला अवतार श्री कृष्ण का ही एक रूप हैं. इनका एक विशाल मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित है. "जगन्नाथ" शब्द का अर्थ है "जगत के नाथ" यानी "संसार के स्वामी". भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु, बलराम (उनके भाई) और सुभद्रा (उनकी बहन) के रूप में पूजा जाता है. जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है, और प्रतिवर्ष यहां लाखों तीर्थयात्री दर्शन के लिए आते हैं. हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आयोजित की जाती है जो भारत की सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. जगन्नाथ जी को कृपा और दया का देवता माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि वे अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं.

आज भी जगन्नाथपुरी में जब पंडित जगन्नाथजी को भोग लगाते हैं तो वो अपनी हथेली में जल रखते हैं. जब जगन्नाथ जी की परछाई उस पानी में दिखाई दे तब माना जाता है कि प्रभु ने भोग स्वीकार कर लिया है. लेकिन एक पौराणिक कथा के अनुसार 1890 में एक बार भगवान जगन्नाथ के चेहरे की परछाई शीशे में दिखना बंद हो गई. ये समय था 1890 की जन्माष्टमी, उस दिन भोग के वक्त जगन्नाथ जी की परछाई दिखी ही नहीं तो सब चौक गए. अब ये बात राजा तक पहुंची कि जगन्नाथ जी खाना नहीं खा रहे. 

पूरे दिन सब अलग-अलग पकवान बनाकर लाते रहे. कहीं जगन्नाथ जी को कुछ और खाना हो, खाने की शुद्धता की भी जांच की गई पर जगन्नाथजी की पानी में परछाई दिखी ही नहीं. तब पूरी के राजा ने ठान लिया था कि वो उसका कारण जाने बिना खाना नहीं छुएंगे.

अब राजा बिना खाए पिए मंदिर में भूखे बैठे रहे. बैठे-बैठे राजा की आंख लगी तो उनके सपने में जगन्नाथ जी आकर बोले हे राजा मैं मंदिर में था ही नहीं. जगन्नाथ पुरी की एक निर्धन में रहने वाली मेरी भक्त वेद माता के हाथों का बना भोग खाने गया था. जब मैं यहां था ही नहीं तो मेरी परछाई कैसे दिखती? अब मैं यहाँ मंदिर में हूँ अब भोग लाये राजा के कहने पर पंडितों ने दुबारा भोग चढ़ाया तो जगन्नाथ जी की परछाई साफ दिखने लगी. 

1890 की जन्माष्टमी के दिन भगवान जगन्नाथ की परछाई पानी में नहीं दिखी. यह घटना जगन्नाथपुरी के राजा तक पहुंची. राजा ने मंदिर में भूखे रहकर इसका कारण जानने का संकल्प लिया. सपने में भगवान जगन्नाथ ने बताया कि वे एक निर्धन भक्त के घर भोग खाने गए थे. जब राजा ने दुबारा भोग चढ़ाया, तब परछाई साफ दिखने लगी. यह चमत्कार आज भी भक्तों के लिए रहस्य बना हुआ है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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