Jagannath Rath Yatra 2022: हर साल की तरह इस बार भी आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की शुरूआत होने वाली है. पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा इस बार 01 जुलाई, शुक्रवार से शुरू होगी. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है. तीनों अलग-अलग रथ में सवार होकर यात्रा पर निकलते हैं. रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर होता है. मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान कई नियमों का पालन किया जाता है और बहुत सी विधियां या परम्पराएं अत्यंत ही अनोखे रूप से पाल की जाती हैं. उन्हीं में से एक है सफाई के लिए सोने की झाड़ू का इस्तेमाल. ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी और साथ ही जगन्नाथ मंदिर से जुड़े भी कुछ रोचक तथ्यों को आज हम आपको बताएंगे.
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जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी रोचक कहानियां
- पुरी के जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा बहुत ही अनोखा है क्योंकि यहां पर लगा ध्यज हमेशा हवा के विरीत दिशा में लहराता रहता है.
- पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दोपहर के पहर में किसी भी समय मंदिर के शिखर की परछाई नहीं बनती है.
- मंदिर परिसर में बनी रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई है जहां पर कुल मिलाकर 752 चूल्हे हैं, जिनमें महाप्रसाद बनाया जाता है. इस जगह पर जलने वाली अग्नि कभी नहीं बुझती है.
- जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर कभी ना तो कोई पक्षी बैठता है और न ही कोई विमान मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता है.
- जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा हुआ सुदर्शन चक्र को किसी भी कोने से देखने पर वह हमेशा एक जैसा ही लगा दिखेगा.
सोने की झाड़ू से रास्ते की होती है साफ-सफाई
तीनों रथ के तैयार होने के बाद इसकी पूजा के लिए पुरी के गजपति राजा की पालकी आती है. इस पूजा अनुष्ठान को 'छर पहनरा' नाम से जाना जाता है. इन तीनों रथों की वे विधिवत पूजा करते हैं और 'सोने की झाड़ू' से रथ मण्डप और यात्रा वाले रास्ते को साफ किया जाता है.