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Jagannath Rath Yatra 2024: आखिर जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ की लकड़ी का क्या होता है? जानें यहां

Jagannath Rath Yatra 2024: क्या आप जानते हैं कि यात्रा समाप्त हो जाने के बाद इस रथ का क्या किया जाता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ की लकड़ी का क्या होता है.

Updated on: 03 Jul 2024, 05:03 PM

नई दिल्ली:

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ धाम को पूरे विश्व में ही बहुत अधिक धार्मिक महत्व दिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में आज भी श्रीकृष्ण का हृदय रखा हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां धूमधाम से चल रही है. 7 जुलाई को शुरू होने वाली ये रथ यात्रा 16 जुलाई तक चलेगी. रीति के मुताबिक इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी से मिलने जाते हैं.  इस यात्रा के लिए विशेष रथ का निर्माण किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यात्रा समाप्त हो जाने के बाद इस रथ का क्या किया जाता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ की लकड़ी का क्या होता है. 

रथ यात्रा का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी से मिलने जाया करते थे और उसी प्रथा को निभाते हुए आज भी रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. रथ यात्रा मुख्य मंदिर से शुरू होकर मौसी गुचिंडा देवी के घर जाती है. यहां पर जगन्नाथ जी अपने भाई बहनों के साथ 7 दिन तक आराम करते है. उसके बाद रथ पर बैठकर ही वे अपने घर वापसी करते हैं. इस यात्रा को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है और लोग भगवान जगन्नाथ के दर्शन पाने के लिए उमड़ते हैं. 

रथ का निर्माण 

इस रथ का निर्माण विशेष रूप से किया जाता है. क्योंकि रथ बनाने में किसी भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसलिए कई महीनों पहले ही रथ निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है. अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है. इस रथ को बनाने में नीम और हांसी की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है और एक विशेष समिति का संगठन किया जाता है. जो इस कार्य का निरीक्षण करती है. 

यात्रा के बाद रथ 

अब आप सोच रहे होंगे कि यात्रा के बाद रथ का क्या किया जाता है. तो दरअसल, रथ यात्रा के बाद रथ की नीलामी होती है जिसकी जानकारी श्री जगन्नाथ वेबसाइट पर मिलती है. अलग-अलग हिस्सों की नीलामी की जाती है और जो भी उसे खरीदता है. उसे कुछ खास शर्तों का पालन करना पड़ता है कि इनका इस्तेमाल किसी गलत कार्य में न हो ताकि इनकी पवित्रता बनी रहे. रथ के बाकी बचे हिस्सों को ईंधन के रूप मे प्रयोग किया जाता है और प्रसाद बनाया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)