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Jain Dharma: जैन धर्म में रात के समय क्यों नहीं खाते खाना? कारण जानकर रह जाएंगे हैरान

Jain Dharm: जैन धर्म में शाम को खाना नहीं खाने का विशेष महत्व है. इसका कारण यह है कि जैन धर्म में अहिंसा का पालन किया जाता है और उनके अनुसार रात्रि के समय अन्न प्राणियों को हानि पहुंचा सकता है

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Mohit Sharma
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Jain Dharma

Jain Dharma( Photo Credit : File Pic)

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Jain Dharm: जैन धर्म में शाम को खाना नहीं खाने का विशेष महत्व है. इसका कारण यह है कि जैन धर्म में अहिंसा का पालन किया जाता है और उनके अनुसार रात्रि के समय अन्न प्राणियों को हानि पहुंचा सकता है. जैन लोग रात्रि के समय अन्न न खाकर अपने आहार में सीमित रहते हैं. वे अन्न विरहित आहार जैसे फल, सब्जियाँ, दाल, और अन्य पदार्थों को ही खाते हैं. इसके अलावा, कुछ जैन लोग नीम के पत्ते, खजूर, और गाजर जैसे उचित विकल्पों का भी सेवन करते हैं. शाम को भोजन करने की आदत जैन धर्म में नहीं होती है. क्योंकि रात्रि के समय अन्न का सेवन उनके आत्मा को पाप से दूर रखने में मदद करता है और अहिंसा का पालन करते हुए उनके धार्मिक सिद्धांतों को सम्मानित करता है.  जैन लोग शाम को खाना नहीं खाते हैं इसके कुछ प्रमुख कारण हैं:

1. अहिंसा: जैन धर्म का मुख्य सिद्धांत अहिंसा है. जैन लोग मानते हैं कि सूर्यास्त के बाद कई छोटे-छोटे जीव जमीन पर निकल आते हैं, जो अंधेरे में दिखाई नहीं देते हैं. यदि वे रात में भोजन करते हैं, तो वे अनजाने में इन जीवों को चोट पहुंचा सकते हैं.

2. पाचन क्रिया: जैन लोग मानते हैं कि रात में पाचन क्रिया धीमी हो जाती है. यदि वे रात में भोजन करते हैं, तो भोजन ठीक से पच नहीं पाएगा और इससे उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

3. आत्म-संयम: जैन धर्म आत्म-संयम पर बहुत ज़ोर देता है. जैन लोग मानते हैं कि रात में भोजन करने से इच्छाशक्ति कमजोर होती है और इससे उन्हें वासना और क्रोध जैसी भावनाओं पर नियंत्रण रखने में मुश्किल होती है.

4. आध्यात्मिकता: जैन लोग मानते हैं कि रात का समय आध्यात्मिक चिंतन और ध्यान के लिए सबसे अच्छा होता है. अगर वे रात में भोजन करते हैं, तो वे आध्यात्मिक गतिविधियों में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे.

5. स्वास्थ्य: कुछ जैन लोग यह भी मानते हैं कि रात में भोजन करने से मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी जैन लोग शाम को खाना नहीं खाते हैं. कुछ जैन लोग रात में थोड़ा सा भोजन करते हैं, जबकि अन्य लोग केवल सूर्योदय से पहले ही भोजन करते हैं.

यहां कुछ अपवाद भी हैं जिनमें जैन लोग रात में भोजन कर सकते हैं, जैसे कि: वे यात्रा कर रहे हैं, वे बीमार हैं या कोई विशेष अवसर है. जैन लोग शाम को खाना नहीं खाते हैं इसके कई कारण हैं, जिनमें अहिंसा, पाचन क्रिया, आत्म-संयम, आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य शामिल हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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