Jalaram Bapa: एक महान संत और समाजसेवी जलाराम बापा की आज 225वीं जयंती है. उनका जन्म गुजरात के वीरपुर गांव में साल 1799 को हुआ था. उनकी जयंती को उनके अनुयायी बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं. आज उनकी 225वीं जयंती के अवसर पर हम उनके जीवन और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कर रहे हैं. जलाराम बापा का जीवन करुणा, सेवा और परोपकार का प्रतीक रहा है. वे बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने में विश्वास रखते थे. उन्होंने अपनी पत्नी वीरबाई के साथ मिलकर लोगों की सेवा करने का संकल्प लिया. उनके जीवन का मूलमंत्र था "सेवा ही धर्म है." बापा का मानना था कि ईश्वर की सेवा उन्हीं इंसानों की सेवा में है जो जरूरतमंद हैं.
अन्नदान और उनके चमत्कार
जलाराम बापा ने अपने जीवनकाल में अन्नदान की परंपरा को अत्यधिक महत्व दिया. उन्होंने सदाव्रत नामक भोजनालय की स्थापना की. यहां जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाता था. उन्होंने अपना पूरा जीवन अन्नदान और लोगों की सेवा में अर्पित कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि जलाराम बापा (Jalaram Bapa) के सदाव्रत में कभी अन्न की कमी नहीं होती थी. भले ही लाखों लोगों को भोजन करा दें फिर भी वहां अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते थे. भक्तों का मानना था कि उनके पास चमत्कारिक शक्तियां थीं. उनके जीवन में कई चमत्कारिक घटनाएं घटीं, जिनसे उनकी महिमा और भी बढ़ी. एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार अकाल के समय उन्होंने हजारों लोगों को भोजन कराया और फिर भी उनके अन्न भंडार में कमी नहीं आई. ऐसी घटनाओं ने उनकी ख्याति को चारों ओर फैलाया और लोग उन्हें एक संत के रूप में पूजने लगे.
शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति योगदान
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जलाराम बापा ने अहम योगदान दिया. उन्होंने समाज में शिक्षा का प्रचार किया और साथ ही जरूरतमंदों के लिए चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध करवाई. वे समाज में समानता और सद्भावना के पक्षधर थे, और उन्होंने हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों की मदद की. उनका जीवन हमें निःस्वार्थ सेवा, परोपकार, और दया का संदेश देता है. समाज के उत्थान के लिए उनका योगदान अनमोल है और आज भी उनके अनुयायी उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. जलाराम बापा (Jalaram Bapa) की शिक्षाएं और योगदान समाज में आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और हमें सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति और सेवा कैसे की जाए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)