जन्माष्टमी की तैयारी पूरे देशभर में शुरू हो गई है। कृष्ण मंदिरों को सजाया-संवारा जाने लगा है। भाद्रपद अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। श्रद्धालु दिन भर उपवास कर नंद गोपाल के जन्म होने पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। आइए जानते हैं व्रत की विधि और पूजन-
जन्माष्टमी व्रत-पूजन विधि
- जन्माष्टमी के एक दिन पहले रात में हल्का भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सुबह उठने के बाद घर को साफ-सुथरा करें। घर में स्थित मंदिर को साफ करें और फिर गंगा जल से पवित्र करें।
- सुंदर पताकों, सुगंधित धूप बत्ती और इत्र की खुशबू से पूरा वातावरण को सुंगधित कर दें।
- मंदिर में बाल कृष्ण की मूर्ति को झूले में आसन देकर विराजमान करें।
- भगवान को स्नान भोग इत्यादि लगाने के बाद पूरे दिन कीर्तन और बाल कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए नृत्य संगीत का कार्यक्रम रखे।
- रात 12 बजे कृष्ण जन्म के बाद उन्हें विधिवत दूध, दही और गंगा जल से स्नान कराए।
- फिर सुंदर वस्त्र और आभूषण से उनका श्रृंगार करे।
- फिर घी के दीये और धूप जलाकर देवकी नंदन की आरती करे।
- पंजीरी, फल-मिठाई, मेवे और घर में बने मिष्ठान से भगवान कृष्ण को भोग लगाए।
- इसके बाद सोहर गाए और कृष्ण को पालने में झूलाए।
- आरती और हवन करने के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत को खोले।
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इन मंत्रों का करें जाप
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम :
योगेश्वराय योगसम्भवाय योगपताये गोविंदाय नमो नम:
यज्ञेश्वारय यज्ञसम्भवाय यज्ञपतये गोविन्दाय नमो नम: (श्री कृष्ण की बाल प्रतिमा का स्नान कराएं)।
वीश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम: (इस मंत्र के साथ बाल कृष्ण को धूप, दीप, पुष्प, फल आदि को अर्पण करें)।
धर्मेश्वराय धर्मपतये धर्मसम्भाव गोविन्दाय नमो नम : ( नैवेद्य या प्रसाद अर्पित करें)।
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Source : News Nation Bureau