Janmashtami 2022 Morpankh Rahasya: श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष में जन्माष्टमी मनाई जाती है. आज यानी कि 18 अगस्त के दिन देश के कई हिस्सों में जन्माष्टमी मनाई जा रही है. वहीं, मथुरा वृन्दावन समेत कुछ जगहों पर जन्माष्टमी का पर्व 19 अगस्त यानी कि कल मनाया जाएगा. जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है और उन्हें झूला भी झुलाया जाता है. इस दिन लड्डू गोपाल का शृंगार भी देखने लायक होता है. ऐसे तो लड्डू गोपाल कई तरह के आभूषण धारण करते हैं लेकिन मुकुट पर सुशोभित मोरपंख की छटा ही निराली है. आप में से बहुत कम लोगों को ही इस बात की जानकारी होगी कि मोरपंख को ही कन्हैया ने अपने मुकुट के लिए क्यों चुना है. ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे के रोचक रहस्य के बारे में.
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- मोर एक मात्र ऐसा पपक्षी है जो आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मादा और नर मोर का मिलन नहीं होता. मादा मोर नर मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है. इसलिए श्री कृष्ण ऐसे पवित्र पक्षी के पंख को अपने मस्तक पर सजाते हैं.
- इसके अतिरिक्त एक कथा ये भी है कि राधा रानी के महल के आस पास बहुत सारे मोर रहते थे. जब श्री कृष्ण राधा रानी को स्मरण करते हुए अपनी बंसी बजाते थे तब राधा रानी के साथ साथ सभी मोर भी भक्तिभाव में नाचने लगते थे. एक बार नाचते नाचते एक मोर का पंख टूटकर अलग हो गया और श्री कृष्ण के पास जाकर गिरा तब श्री कृष्ण ने उस पंख को राधा रानी के प्रेम का प्रतीक मान अपने मस्तक पर धारण कर लिया.
- श्री कृष्ण ने मोरपंख को प्रेम का प्रतीक बताने के लिए भी उसे धारण किया था. दरअसल, कान्हा के बड़े भाई बल दाऊ शेषनाग का अवतार थे और मोर व नागों के बीच कट्टर दुश्मनी मानी जाती है. ऐसे में मोरपंख धारण करने का उद्देश्य यह था कि शत्रुता से कही अधिक उत्तम है मित्रता का रस.