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Janmashtami 2023: कंस के पाप का घड़ा कैसे भरा, जानें श्रीकृष्ण के हाथों मामा के संहार की कहानी

Kansa Story: भगवान श्रीकृष्ण के मामा कंस का संहार कैसे हुआ. कैसे कृष्ण के पैदा होने से पहले ही कंस के पापों का घड़ा भरने लगा था. एक आकाशवाणी से कैसे कंस भयभीत हुए आइए जानते हैं. 

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Inna Khosla
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know what is the story of krishna killing kansa

Janmashtami 2023 - Kansa Story( Photo Credit : Social Media)

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Janmashtami 2023: पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा उग्रसेन द्वापर युग के अंत में मथुरा पर राज किया करते थे. उनकी दो संतान थी कंस और देवकी. कंस ने अपने पिता से बलपूर्वक उनका सिंहासन उनसे छीनकर उन्हें जेल में कैद कर दिया था. बहन देवकी का विवाह कंस ने यादव कुल के वासुदेव के साथ करवाया. पर रहते हैं ना विनाश काले विपरीत बुद्धि... कंस का भी अब अंत समय आने वाला था उससे पहले वो अपना काल खुद ही बुला बैठा. कहते हैं बहन देवकी की बिदाई के समय जब कंस उसे सुसराल छोड़ने साथ जा रहा था तब आकाशवाणी हुई. जिसमें कहा गया...

हे कंस! जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से विदा कर रहा है उसका आठवाँ पुत्र तेरा संहार करेगा

ये सुनते ही कंस क्रोधित हो उठा और उसने सोचा कि क्यों ना मैं अपनी बहन की हत्या कर दूं. ना वो होगी और ना ही उसकी संतान पैदा होगी जो मेरा संहार करेगी. कंस देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया. लेकिन जैसे ही वो आगे बढ़ा देवकी के पति वासुदेव ने हाथ जोड़कर कंस से विनती की और कहा कि तुम्हें उसकी आठवीं संतान से भय है देवकी से तो कोई भय नहीं है. जैसे ही देवकी की आठवीं संतान जन्म लेगी हम उसे तुम्हें सौंप देंगे. कंस ने वासुदेव की ये प्रार्थना स्वीकार तो की लेकिन उन्हें जेल में कैद कर लिया. 

कारागार में बंद देवकी अपने पति के साथ दुखी रहने लगी. तत्काल नारद प्रकट हुए और उन्होंने कंस से कहा कि तुम्हारी बहन देवकी का आठवां गर्भ कौन सा होगा ये तुम्हें कैसे पता चलेगा. गिनती प्रथम गर्भ से शुरु होगी या अंतिम गर्भ से. कंस को नारद की बात ने गंभीर सोच में डाल दिया. कंस ने फैसला किया कि उसकी बहन की जो भी संतान होगी वो उसे मार देगा. एक-एक करके देवकी के जो भी बच्चे जन्म लेते कंस निर्दयतापूर्वक उन्हें मार देता. ऐसे में देवकी और वासुदेव दुखी रहते. कंस को अपने से ज्यादा और किसी का कोई सुख-दुख समझ में नहीं आता था. 

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फिर एक दिन वो आया जब देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान ने जन्म लिया. ये दिन था भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी जिसमें रोहिणी नक्षत्र लगा हुआ था. कहते हैं रोहिणी नक्षत्र में जन्में श्रीकृष्ण जी को कंस नहीं मार पाया. उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया. वासुदेव-देवकी के सामने साक्षात भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए उन्होंने देवकी और वासुदेव की सारी बेड़ियां तोड़ दी और बालक रूप धारण करते हुए कहा कि मुझे तत्काल ही गोकुल में नन्द के यहां पहुंचा दो और उनके यहां जिस पुत्री का जन्म हुआ है उसे यहां ले आओ. 

भारी बारिश उस समय हो रही थी वासुदेव ने नन्हे से कृष्ण को टोकरी में लिटाया और अपने सिर पर रखकर गोकुल चल दिए. वहां उन्होंने नन्द बाबा के घर कृष्ण को रखा और उनकी पुत्री ले आए. ये पुत्री उन्होंने लाकर कंस को सौंप दी. 

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कंस ने जब उस कन्या को मारना चाहा तो वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली कि मुझे मारने से क्या लाभ है? तेरा शत्रु तो गोकुल पहुंच चुका है.

कंस को जैसे ही ये ज्ञात हुआ वो व्याकुल हो गया. उसने कृष्ण को मारने के लिए कई दैत्य भेजे. लेकिन बालक रूप कृष्ण तो मायावी थी. उनकी आलौकिक माया से एक-एक कर सभी दैत्यों को संहार हो गया. फिर एक दिन ऐसा भी आया जब श्रीकृष्ण ने 11 साल की उम्र में ही कंस का संहार कर दिया. कृष्णा ने जेल से अपने माता-पिता को छुड़ाया. श्रीकृष्ण ने अपने नाना राजा उग्रसेन को भी जेल से छुड़ाकर उन्हें वापस राजगद्दी पर बिठाया. 

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