पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) पूरे देशवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं दी है. भादों मास में कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2022) का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण भारतीय ज्ञान, अध्यात्म, योग और कर्म को फिर से परिभाषित करने के लिए जाने जातें हैं. भगवन कृष्ण के कई रूप हैं. कहीं पर वह गाय चराते ग्वाले हैं तो महाभारत युद्ध में वह अर्जुन को मोह से मुक्त करने वाले योगेश्वर. श्री कृष्ण के जीवन में एक आम आदमी के जीवन का हर रूप दर्शन देता है, वह पुत्र, प्रेमी, सखा और सहायक हर रूप में हमारे सामने अपना उत्कृष्ट प्रकट करते हैं.
इस दिन पारस परिवार मुखिया श्री पारस भाई जी एक भव्य प्रोग्राम आयोजित करने जा रहे है जो शाम 7 बजे से श्री कृष्ण जन्म यानि आदि रात तक चलेगा। इसीलिए हो जाइये तैयार भगवन कृष्ण के रंग में रंगने के लिए । आप सभी सादर आमत्रित है जन्माष्टमी के हमारे खास प्रोग्राम में आये मेरे कृष्णा. कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के आगमन के लिए मंदिरों और घरों में साज सजावट की जाती है. इस दिन हर मंदिरों में झूलें लगाएं जाते हैं और बाल गोपाल को उसमें बैठाया जाता है. कृष्ण जी के पैदा होने के बाद उन्हें छप्पन भोग बनाए जाते हैं, कीर्तन किए जाते हैं. सुबह से ही लोग कृष्ण भगवान को सजाने लगते हैं. हर तरफ उत्सव का माहौल होता है. इस दिन व्रत और पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामना पूरी होती है. तो आइये जानते हैं किस दिन है जन्माष्टमी और उसकी पूजा विधि :
जन्माष्टमी 2022 कृष्ण पूजा मुहूर्त (Krishna Janmashtami 2022 Muhurat)
श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त-18 अगस्त रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा. मान्यता है कि इसी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में बाल गोपाल श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. बांके बिहारी मंदिर और द्वारिकाधीश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा.
- पूजा अवधि- 45 मिनट
- व्रत पारण समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद
- जन्माष्टमी पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करलें. घर के मंदिर में साफ- सफाई करें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करे. सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें. इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा होती है. लोग इस दिन मंदिर को या बाल गोपाल के झूले को फूल और रंगों से सजाते हैं. लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें. इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं. आरती करने के बाद बाल गोपाल जी को झूला झुलाएं. छप्पन तरह के भोग लगाएं. इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था. रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें. रात में आरती के बाद उन्हें अनेक तरह से मिठाई, फल चढ़ाएं और अपना व्रत खोलें. ध्यान रहे की भगवान को सात्विक भोजन का ही भोग लगाएं.
Source : News Nation Bureau