हर साल भगवान कृष्ण के भक्त जन्माष्टमी का भक्त बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। देशभर में भगवान कृष्ण के जन्मदिन का जश्न धूमधाम से मनाया जाता हैं। मंदिरों से लेकर घरों तक 56 भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत सबसे बड़ा होने की मान्यता है। कृष्णा का जन्म भादप्रद माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा करने का खास महत्व है। जन्माष्टमी पर भगवान को पीले फूल अर्पित करें तो घर में बरकत होगी। नंदलाला के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है जो कि 56 प्रकार का होता है।
श्री कृष्णा को जन्माष्टमी पर प्रेम से झूला झुलाया जाता है। ऐसा कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण को पालने में झुलाने पर संतान से स्नेह बढ़ता है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि मां यशोदा जब भी कान्हा को पालने में लेटे हुए देखती थीं तो वह काफी आनंद महसूस करती थीं। मान्यता है कि नंदगोपाल को पालने में झुलाने के दौरान जो ठीक वैसी ही अनुभूति होती है, जिसका सकारात्मक असर मां-पुत्र-पुत्री के प्रेम में भी झलकता है। जन्माष्टमी के पावन दिन कन्हैया की कथा सुनाई जाती है। मथुरा में श्रीकृष्ण की आरती के दौरान श्रद्धालुओं की भरी भीड़ उमड़ी।
श्री कृष्णा का 56 भोग
भोग में माखन मिश्री खीर और रसगुल्ला, जलेबी, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, घेवर, चीला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता जैसी चीजें शामिल होती हैं। अगर आप भगवान को छप्पन भोग प्रसाद में नहीं चढ़ा पाते हैं तो माखन मिश्री एक मुख्य भोग है। आमतौर पर जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण को माखन मिश्री चढ़ाया जाता है। श्री राधाकृष्ण बीज-मंत्र का जप करें। भक्ति एवं संतान प्राप्ति के लिए गोपाल, कृष्ण, राधा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ व तुलसी अर्चन करें। सभी चीजें दाहिने हाथ से भगवान कृष्ण को अर्पित करें।