Advertisment

Janmastmi 2018 :जानें, श्रीकृष्ण की बड़ी बहन योगमाया के बारे में जिन्होंने बचाई थी उनकी जान

भागवत में श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में कहा गया है कि देवी योगमाया ने कंस से उनकी रक्षा की। योगमाया श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थी।

author-image
nitu pandey
एडिट
New Update
Janmastmi 2018 :जानें, श्रीकृष्ण की बड़ी बहन योगमाया के बारे में जिन्होंने बचाई थी उनकी जान

कृष्ण की बड़ी बहन देवी योगमाया के बारे में जानें रोचक इतिहास

Advertisment

भागवत में श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में कहा गया है कि देवी योगमाया ने कंस से उनकी रक्षा की थी। योगमाया श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थी। मान्यता है कि देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का जन्म हुआ था।

दिल्ली के महरौली में देवी योगमाया एेतिहासिक मंदिर

दिल्ली के महरौली में देवी योगमाया की ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि पांडवों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। पुराणों में कहा गया है कि जब इंद्रप्रस्थ को बसाने के लिए खांडव वन को जलाकर कृष्ण और अर्जुन निवृत्त हुए तो विजय की याद में योगमाया की मंदिर बनाई, क्योंकि योग शक्ति के बिना देवताओं के राजा इंद्र को पराजित करना संभव नहीं था।

तोमर राजपूत शासकों ने योगमाया की पूजा शुरू की

कहा जाता है कि जब तोमर राजपूत शासकों ने इस जगह पर अपनी राजधानी बनाया तो उन्होंने योगमाया की पूजा शुरू कर दी। चंद्रवंशी तोमर देवी के उपासक थे। तोमर शासकों ने लालकोट को अपनी नई राजधानी बनाया और यहां एक शहर को बसाया। जिसको ढिल्ली, ढिल्लिका अथवा ढिल्लिकापुरी के नाम से जाना गया। यह शहर पूर्ववर्ती मंदिरों की नगरी योगिनीपुरा के इर्द-गिर्द बसाया गया जहां इन्होंने कई मंदिरों का निर्माण कराया। जिसके अवशेष आज भी कुतुब पुरातात्विक क्षेत्र तथा उसके समीपस्थ क्षेत्र में बिखरे पड़े हैं।

सेठमलजी ने बनाया मंदिर

महरौली स्थित मंदिर साल 1827 का बना माना जाता है। मुगल शासक अकबर द्वितीय के काल में लाला सेठमलजी ने इसे बनाया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सैय्यद अहमद खान ने दिल्ली की 232 इमारतों का शोधपरक ऐतिहासिक परिचय देने वाली अपनी पुस्तक 'आसारुस्सनादीद' में लिखा है कि वर्तमान मंदिर का उन्नीसवीं सदी में पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन यह स्थल उससे भी प्राचीन है।

और पढ़ें : Janmastmi 2018 : पूरे विधि विधान से करें जन्माष्टमी व्रत और पूजा, जानें मंत्र और विधि

नागर शैली में बनी है योगमाया की मंदिर

नागर शैली में बने मंदिर के प्रवेशद्वार के ऊपर एक नाग की आकृति बनी हुई है, जो चिंतामाया का प्रतीक है। मन्दिर का अहाता चार सौ फुट मुरब्बा है। चारों ओर कोनों पर बुर्जियां है। मंदिर की चारदीवारी है जिसमें पूर्व की ओर के दरवाजे से दाखिल होते हैं। यह मंदिर कुतुब मीनार परिसर में स्थित लोहे की लाट से करीब 260 गज उत्तर पश्चिम में स्थित है।

मूर्ति नहीं मां विराजमान हैं पिंड रूप में

मंदिर में मूर्ति नहीं है बल्कि काले पत्थर का गोलाकार एक पिंड संगमरमर के दो फुट गहरे कुंड में स्थापित किया हुआ है। पिंडी को लाल वस्त्र से ढका हुआ है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है। मंदिर के द्वार पर लिखा हुआ है-योगमाये महालक्ष्मी नारायणी नमस्तुते। यह स्थान देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है। श्रावण शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को यहां मेला लगता है।

मंदिर के उत्तरी द्वार की ओर खड़े होकर तोमर शासक अनंगपाल द्वितीय का बनवाया अनंगताल दिखाई देता है। उत्तर पश्चिम कोण में एक पक्का कुआं है जो रायपिथौरा यानि दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासक पृथ्वीराज चौहान के समय का माना जाता है।

और पढ़ें : Janmastami 2018: मथुरा में मनाएं इस बार जन्माष्टमी, जानिए कैसे 1 दिन में घूमें कृष्ण जन्मभूमि

Source : News Nation Bureau

Janmastmi 2018 Happy Janmastmi Janmastmi yogmaya temple srikrishan sister yogmaya
Advertisment
Advertisment
Advertisment