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Jau Visarjan Kaise Karte Hain: कन्या पूजन के बाद कब और कैसे करें जौ विसर्जन, जानें समय और विधि

Jau Visarjan Kaise Karte Hain: नवरात्रि का समापन विजयदश्मी के दिन किया जाता है. दुर्गाष्टमी और महानवमी के बाद जौ विसर्जन होती है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जौ विसर्जन के लिए भी विशेष दिन और शुभ मुहूर्त होता है.

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Inna Khosla
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Jau Visarjan Kaise Karte Hain

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Jau Visarjan Kaise Karte Hain: कन्या पूजन नवरात्रि के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है इसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों को छोटी कन्याओं के रूप में पूजित किया जाता है, जिन्हें माँ दुर्गा का प्रतीक माना जाता है. इस पूजन के साथ ही जौ विसर्जन का भी विशेष महत्व है, जो नवरात्रि के समापन के बाद किया जाता है जौ का बीजारोपण देवी दुर्गा के शक्ति और समृद्धि के प्रतीक रूप में किया जाता है और नवरात्रि के नौ दिनों तक इसे सींचा जाता है

कब करें जौ विसर्जन? (When to immerse barley?)

जौ विसर्जन का समय कन्या पूजन के बाद या नवरात्रि के अंतिम दिन यानी दशमी तिथि को होता है दशमी के दिन या कन्या पूजन के ठीक बाद जौ को जलाशय, बहते जल या किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करना शुभ माना जाता है.

जौ विसर्जन शनिवार, अक्टूबर 12, 2024 को किया जा सकता है इस साल 2 घंटे 19 मिनट का शुभ समय जौ विसर्जन के लिए है. विजयदश्मी (vijayadashami) के दिन दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से लेकर 03 बजकर 35 मिनट के बीच आप कभी भी जौ विसर्जन कर सकते हैं. 

जौ विसर्जन के लिए विधि (Jau Visarjan Kaise Karte Hain)

सबसे पहले कन्या पूजन के बाद मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं जौ को एकत्र करें और मां को प्रणाम करते हुए विसर्जन के लिए तैयार करें जौ को पवित्र नदी, तालाब या बहते पानी में विसर्जित करें अगर बहते पानी में विसर्जन संभव न हो तो घर के किसी गमले में या बगीचे में भी इसे डाल सकते हैं ध्यान रखें कि इसे फेंका न जाए बल्कि श्रद्धा से विसर्जित किया जाए

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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