Jaya Ekadashi 2023 : सनातन धर्म में एकादशी का बेहद खास महत्व है. हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के दिन व्रत रखी जाती है. इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. इसके साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा बरसती है और आपको सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप करने से भय से मुक्ति मिल जाती है. जया एकादशी इस साल 1 फरवरी 2023 यानी की आज है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि जया एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन किस विधि से पूजा करना चाहिए.
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इस दिन करें इस विधि से पूजा
1.इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और पूजा स्थल को साफ करें.
2.भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और पूरे विधि-विधान के साथ उनकी पूजा करें.
3.पूजा करने के समय विष्णुसहस्त्रनाम का जाप जरूर करें.
4.भगवान विष्णु के पूजा में फूल और फल साथ में तुलसी जल जरूर अर्पित करें.
5.अगले दिन द्वादशी कर पूजा के बाद भोजन कर व्रत का पारण करें.
एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम
1.इस दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए. इससे वंश का नाश होता है.
2.इस दिन सोने से बचना चाहिए, इस दिन केवल भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना चाहिए.
3.इस दिन चोरी नहीं करना चाहिए, इस दिन चोरी करने से 7 पीढ़ियों को पाप लगता है.
4.एकादशी के दिन सादा खान-पान करना चाहिए. सात्विक खाना ही ग्रहण करें.
5.इस दिन किसी भी कठोर शब्द का प्रयोग न करें.
6.इस दिन सुबह जल्दी उठें और शाम को न सोएं.
जया एकादशी के दिन करें ये आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।