Jitiya Kab Hai 2023: आज है जितिया व्रत? जानें क्या है पूजा करने का सही नियम और मुहूर्त

Jitiya Kab Hai 2023: आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा जितिया व्रत साथ ही जानिए इस व्रत का शुभ मुहूर्त और सही नियम के बारे में.

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Sushma Pandey
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Jitiya Kab Hai 2023

Jitiya Kab Hai 2023( Photo Credit : NEWS NATION)

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Jitiya Kab Hai 2023: हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत मनाया जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मनाया जाता है. वहीं जितिया व्रत नेपाल में भी काफी लोकप्रिय है. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका और जीउतिया  के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत एक महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है जिसमें माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन और रात निर्जला उपवास रखती हैं. यानी इस दिन सभी माताएं संतान की रक्षा और उनकी लंबी आयु के लिए पूरे दिन न तो अन्न ग्रहण करती हैं और न ही जल लेती हैं और फिर दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में पारण करती हैं. तो आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा जितिया व्रत साथ ही जानिए इस व्रत का शुभ मुहूर्त और सही नियम के बारे में. 

6 या 7 अक्टूबर, कब है जितिया व्रत?  (When is Jitiya Vrat 2023)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर को किया जाएगा. वहीं पर्व की शुरुआत  5 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ होगी. आपको बता दें कि इस दिन पितृ पक्ष की अष्टमी तिथि का श्राद्ध भी किया जाएगा. 

नहाय खाय - 5 अक्टूबर 2023
जितिया व्रत - 6 अक्टूबर 2023
व्रत पारण - 7 अक्टूबर 2023

जितिया व्रत पूजा और पारण शुभ मुहूर्त (Jitiya Vrat 2023 Shubh Muhurat)

अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ -  6 अक्टूबर 2023 - सुबह 06 बजकर 34 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 7 अक्टूबर 2023 - सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर 
जितिया व्रत पारण का समय-7 अक्टूबर 2023 - सुबह 8 बजकर 8 मिनट के बाद 

जितिया व्रत पूजा नियम  (Jitiya Vrat 2023 Puja Niyam)

जितिया व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस व्रत का पारण मुहूर्त देखकर ही किया जाता है. व्रत रखने वाली महिलाएं  एक दिन पहले स्नान आदि करके सात्विक यानी बिना प्याज, लहसुन वाला भोजन करती हैं. फिर दूसरे दिन यानि जितिया का निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत में माताएं सप्तमी को अन्न-जल ग्रहण करके उपवास शुरू करती हैं और अष्टमी को पूरे दिन उपवास करके नवमी को व्रत समाप्त करती हैं. 

इस व्रत का नाम 'जीवित्पुत्रिका' कैसे पड़ा?

महाभारत में, अश्वत्थामा ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्मा हथियार का उपयोग करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला.  तब भगवान कृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में सूक्ष्म रूप से प्रवेश किया और बच्चे की रक्षा की.  उत्तरा ने एक पुत्र को जन्म दिया. वही पुत्र पांडव वंश का भावी कर्णधार बना.  परीक्षित को ऐसा जीवन मिलने के कारण ही इस व्रत का नाम 'जीव्पुत्रिका' पड़ा. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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Source : News Nation Bureau

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