Jivitputrika Vrat 2022 Niyam: हिंदू धर्म में पति और संतान की लंबी आयु के लिए कई व्रत किए जाते हैं. इन्हीं में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत. इस व्रत का विशेष महत्व है. हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के अलावा जिउतपुत्रिका, जितिया, जिउतिया और ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. माताएं ये व्रत पुत्र प्राप्ति, संतान के दीर्घायु होने एवं उनकी सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए करती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं जीवितपुत्रिका व्रत के गूढ़ महत्व और व्रत पारण समय के बारे में.
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जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 नियम (Jivitputrika Vrat 2022 Rules)
- जीवित्पुत्रिका व्रत के एक दिन पूर्व से सात्विक भोजन करें. लहसुन, प्याज आदि तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
- जीवित्पुत्रिका व्रत में निर्जला और निराहार रहें.
- व्रत से एक दिन पूर्व ही भोजन कर लें और व्रत के दिन कुछ भी न खाए और पिएं.
- जब तक व्रत का पारण अगले दिन सुबह पूजा के बाद न कर लें तब तक व्रत पूर्ण नहीं माना जाएगा.
- इस व्रत में 24 घंटे से अधिक निर्जल रहने का विधान है. अतः बीमार महिलाएं व्रत करने से बचें. बीच में व्रत टूटने से संतान का अहित हो सकता है.
- जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुने बिना यह व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता है. अतः कथा का श्रवण अवश्य करें. नहीं तो व्रत का फल नहीं मिलेगा.
- व्रत एवं पूजा के दौरान गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से निर्मित मूर्ति का उपयोग अवश्य करें.
- व्रत से एक दिन पहले से लेकर व्रत के एक दिन बाद तक यानि कि इन 3 दिनों में भूलकर भी न तो किसी के प्रति दुर्विचार अपने मन में लाएं और न ही किसी के साथ बुरा करें.
- मन में अगर बुरे भाव आ रहे हैं तो बेहतर होगा कि खुद को भजन कीर्तन में लगाएं रखें. क्योंकि दुर्भाव से रखा गया व्रत आपकी संतान के मन में नकारात्मक विचारों को बढ़ावा दे सकता है.