Jyeshtha Month 2022: पूर्णिमा के बाद से नए माह की शुरुआत होती है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार, 16 मई को पूर्णिमा के साथ ही वैशाख माह का समापन होगा और 17 मई मंगलवार से ज्येष्ठ माह आरंभ होगा. ये महीना 14 जून तक चलेगा और ज्येष्ठ पूर्णिमा के बाद नए माह की शुरुआत होगी. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 16 मई सुबह 9 बजकर 43 मिनट से लग रही है और समापन 17 मई मंगलवार को सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर होगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, जिस तिथि पर सूर्यदय होता है, उसी दिन तिथि मान्य होती है. इसलिए 17 मई से ज्येष्ठ माह की शुरुआत होगी.
ज्येष्ठ माह की शुरुआत ही शुभ दिन से हो रही है. इस दिन प्रातः काल से ही शिव योग बन रहा है. रात 10 बजकर 38 बजे से सिद्ध योग लग जाएगा. ज्येष्ठ माह को लेकर मान्यता है कि इस माह में कुछ ऐसे कार्य किए जाते हैं, जिनको करने से भाग्य को मजबूती मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. यहां तक कि, इस माह में सूर्य का तेज ज्यादा होता है. ऐसे में इन कार्यों को करने से सूर्य देव की कृपा भी पाई जा सकती है.
ज्येष्ठ माह में करें ये कार्य
1. शास्त्रों में ज्येष्ठ माह में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. सूर्य देव की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और उनका मंत्र जाप करें.
2. ज्येष्ठ माह में सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए रविवार के दिन व्रत रखें. इस दिन नमक नहीं खाया जाता. इसलिए रविवार के दिन मीठा भोजन करके ही पारण करें.
3. ज्येष्ठ माह में गर्मी भीषण रूप में होती है. इसलिए इस माह में जल और पंखे का दान उत्तम माना जाता है. अगर किसी तरह संभव हो सके, तो प्यासे लोगों को पानी पिलाएं. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होगी.
4. ज्योतिष के अनुसार इस माह में पशु-पक्षियों के दाने और पानी की व्यवस्था करें. ऐसा करने से ईश्वर आप पर कृपा बनाएंगे.
5. इस माह में राहगीरों को शरबत पिलाना, गरीबों को फल दान करना, शुभ फल दायी होता है.
6. इस माह में जल की पूजा का विशेष महत्व है. इसलिए इस माह में दो बड़े व्रत गंग दशहरा और निर्जला एकादशी का व्रत रखें.
7.मान्यता है कि इस माह में ही श्री राम से हनुमान जी का मिलन हुआ था. इसलिए इस माह में इस माह में हनुमान जी की पूजा क रने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
8. ज्येष्ठ माह में तिल का दान शुभ फल दायी है.