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Kalashtami 2023: आज मनायी जाएगी कालाष्टमी? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

kalashtami 2023: कालाष्टमी व्रत के दिन विधि-विधान के साथ बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.आइए जानते हैं कब है कालाष्टमी. साथ ही जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

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Sushma Pandey
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kalashtami 2023( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

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kalashtami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव की जयंती मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव के 11 रूद्र अवतार में से एक बाबा काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाएगी. बता दें कि  काल भैरव शिव जी का पांचवा रूप हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी के काल भैरव की आराधना करने से भोलेनाथ जातक की सदैव रक्षा करते हैं और शत्रुओं का नाश करते हैं. इसके साथ ही विधिपूर्वक इनकी पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह में कब मनाई जाएगी काल भैरव की जयंती. साथ ही जानिए  कालाष्टमी पूजा व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में. 

आज मनाई जाएगी काल भैरव जयंती

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के दौरान कालाष्टमी का व्रत 5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी.ऐसा कहा जाता है कि जो भी इस दिन भोले बाबा की पूजा करता है तो उसपर भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है. 

कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 दिसंबर 2023 दिन सोमवार को रात 9 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा. वहीं मार्गशीर्ष कृष्ण मास की पक्ष अष्टमी तिथि का समापन 6 दिसंबर 2023 दिन बुधवार को दोपहर 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्ती होगी. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त  5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक है.वहीं रात में पूजा के लिए मुहूर्त 5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को रात  11 बजकर 44 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है. 

कालाष्टमी व्रत पूजा विधि 

कालाष्टमी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहने स्नान कर लें. उसके बाद व्रत का संकल्प लें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का जलाभिषेक करें.अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और शिव जी को लाल चंदन, बेलपत्र, पुष्प, धूप, दीप, मिठाई, फल चढ़ाएं. काल भैरव की पूजा में शिव जी की तिल चढ़ाने का विधान है. ऐसे में आप इस दिन शिव जी की पूजा में उन्हें तिल और उड़द जरूर चढ़ाएं. उसके बाद बाबा भैरव को उनको प्रिय भोग जलेबी, पान, नारियल चढ़ाएं. आखिरी में काल भैरव जयंती की कथा पढ़ें और फिर आरती करें. 

कालाष्टमी व्रत के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप 

'ॐ ब्रह्म काल भैरवाय फट'
'ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि'
'ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा'

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

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Source : News Nation Bureau

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