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Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर क्यों की जाती है काल भैरव की पूजा? जानें व्रत के नियम और मंत्र

Kalashtami 2024: इस बार 30 मई, 2024 गुरुवार को कालाष्टमी की पूजा की जाएगी. आइए जानते हैं कालाष्टमी क्यों मनाई जाती है. साथ ही जानिए कालाष्टमी पूजा विधि और मंत्र के बारे में.

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Sushma Pandey
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Kalashtami 2024

Kalashtami 2024( Photo Credit : social media)

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Kalashtami 2024: हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बेहद महत्व माना जाता है. कालाष्टमी हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप भगवान भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से भैरव बाबा सदैव रक्षा करते हैं.इस साथ ही जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. कालाष्टमी के दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान अत्यंत फलदायी माने जाते हैं. इस बार 30 मई, 2024 गुरुवार को कालाष्टमी की पूजा की जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं कालाष्टमी क्यों मनाई जाती है. साथ ही जानिए कालाष्टमी पूजा विधि और मंत्र के बारे में. 

क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी?

भगवान काल भैरव को रक्षा, विनाश और परिवर्तन का देवता माना जाता है. कालाष्टमी पूजा करने से भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है. अन्याय और बुराईयों से मुक्ति मिलती है. जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. भय और चिंता से मुक्ति मिलती है. आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. भक्त अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए भी कालाष्टमी पूजा करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कालाष्टमी पूजा करने से ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है और इस दिन किए गए व्रत और स्नान से व्यक्ति स्वस्थ और निरोगी रहता है. 

कालाष्टमी पूजा विधि 

कालाष्टमी के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर सजाएं. फिर अपने घर के मंदिर में भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर पंचामृत से काल भैरव का अभिषेक करें. दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं. भगवान काल भैरव को फूल, फल, मिठाई, पान और सुपारी अर्पित करें. भगवान काल भैरव से अपनी मनोकामना बोलें. फिर आरती करें. व्रत कथा पढ़ें. उसके बाद प्रसाद वितरित करें.  व्रती अगले दिन अपना व्रत खोलें.  जरूरतमंदों को दान करें, उन्हें भोजन खिलाएं. 

कालाष्टमी व्रत के नियम

कालाष्टमी व्रत के दिन मांसाहार, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए. कालाष्टमी के पूरे दिन भगवान काल भैरव का ध्यान करना चाहिए. 

कालाष्टमी के दिन इन मंत्रों का करें जाप

1. ओम भयहरणं च भैरव:

2. ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि

3. ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय। कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा

4. ॐ कालभैरवाय नमः

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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