Kaleshwar Mukteshwar Swamy Temple: कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन है और इसकी स्थापना से जुड़े कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं. ऐसा कहा जाता है कि एक समय पर यहीं पर भगवान शिव ने अपने भक्तों को मृत्यु के भय से मुक्त करने का वरदान दिया था. यही कारण है कि यहां शिव और यमराज की एक साथ पूजा की जाती है. इस मंदिर में भगवान शिव के दो अलग-अलग शिवलिंग एक ही गर्भगृह में स्थित हैं. इन दो शिवलिंगों में एक को कालेश्वर और दूसरे को मुक्तेश्वर के नाम से जाना जाता है. यह संगम इसलिए भी विशेष है क्योंकि मान्यता है कि भगवान शिव के इन दोनों रूपों के दर्शन करने से सभी प्रकार के बंधनों और पापों से मुक्ति मिलती है.
इस मंदिर को पंचक्षेत्रों में से एक प्रमुख क्षेत्र भी माना जाता है, जिसे 'त्रिलिंग देश' कहा जाता है, जो आज का तेलंगाना क्षेत्र है. यहां भगवान शिव के पाँच महत्वपूर्ण रूपों की पूजा की जाती है, और कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी मंदिर इन्हीं पंचक्षेत्रों में आता है.
चमत्कारी छेद वाला शिवलिंग
इन शिवलिंगों में से एक विशेष शिवलिंग में एक गहरा छेद मौजूद है. इस छेद की अद्भुत विशेषता यह है कि इसमें आप कितना भी पानी डालें, यह कभी नहीं भरता. श्रद्धालु इस छेद में लगातार जल अर्पित करते हैं, लेकिन यह पानी अज्ञात रूप से गायब हो जाता है. कई वैज्ञानिक और धार्मिक विद्वानों ने इस रहस्य को जानने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई इसे सुलझा नहीं पाया है.
यह छेद शिवलिंग के कितने अंदर तक बना है, इसका अंत कहां है, और यह शिवलिंग ज़मीन के कितने अंदर तक स्थापित है इन सवालों के उत्तर अभी तक किसी को नहीं मिले. इस छेद का रहस्य हज़ारों श्रद्धालुओं को इस मंदिर की ओर आकर्षित करता है.
कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी मंदिर की महत्ता
ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ-साथ यमराज की भी विशेष पूजा की जाती है. यह मंदिर यमराज से जुड़ा हुआ है, और इसलिए यहां आने वाले भक्तों को जीवन-मरण के बंधनों से मुक्ति प्राप्त होती है. यहां आने वाले श्रद्धालु शिवलिंगों के अभिषेक के लिए जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करते हैं. इसके अलावा तंत्र-मंत्र के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां की पूजा से साधकों को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मृत्यु के बाद भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. अब तक न तो पुरातत्वविद् और न ही वैज्ञानिक इस बात का खुलासा कर पाए हैं कि यह छेद कितना गहरा है और इसका अंत कहां है. कई लोग इसे एक चमत्कारिक रहस्य मानते हैं जो भगवान शिव की दिव्यता का प्रतीक है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)