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Kali Maa Tongue Mystery: विनाश करणी मां काली की जीभ में छिपे हैं कई रहस्य, जानें क्यों है हर मंदिर में पूजा जाता है मां का केवल यही स्वरूप

Kali Maa Tongue Mystery:देवी काली मां दुर्गा का एक भयानक रूप है. वह ब्रह्मांड की दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. मां काली बुराई का विनाश करती हैं और शक्तिशाली मानी जाती हैं. वह नश्वर हैं और राक्षसों और देवताओं द्वारा समान रूप से पूजनीय है.

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Gaveshna Sharma
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विनाश करणी मां काली की जीभ में छिपे हैं कई रहस्य( Photo Credit : Social Media)

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Kali Maa Tongue Mystery: इन दिनों मां काली विशेष चर्चा में हैं. बात गुप्त नवरात्र से जुड़ी हुई नहीं है पर बहुत सारे लोग मां काली की चर्चा कर रहे हैं. हाल ही में तमिल डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई ने अपनी फिल्म का एक पोस्टर ज़ारी किया था जिसमें उन्होंने देवी काली का एक विवादित पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर के जारी होते ही हंगामा मच गया. लोग इसे हिन्दू आस्था पर प्रहार की तरह ले रहे हैं. देवी काली मां दुर्गा का एक भयानक रूप है. वह ब्रह्मांड की दिव्य स्त्री ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. मां काली बुराई का विनाश करती हैं और शक्तिशाली मानी जाती हैं. वह नश्वर हैं और राक्षसों और देवताओं द्वारा समान रूप से पूजनीय है जो उनके क्रोध का सामना करने से डरते हैं. इन विवादों से हटकर आइए जानते हैं कौन हैं देवी काली और उनकी जीभ बाहर रहने के पीछे का रहस्य क्या है.

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आपने कई तस्वीरों में देखा होगा कि मां काली की छाती पर अपने पैर रखे हुए हैं. इसके पीछे की भी एक कथा है. रक्तबीज नामक असुर को वरदान था कि वह कभी नहीं मरेगा बल्कि उसकी खून की  जितनी भी बूंदें धरती पर गिरेंगी उससे अनेक रक्तबीज उत्पन्न होंगे. वरदान पाकर रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दी. देवताओं ने युद्ध की ठानी और रक्तबीज से लड़ने को तैयार हो गए. लेकिन जब वह सफल नहीं हुए तब वह मां काली के पास पहुंचे.  

मां काली अपना वीभत्स रूप लेकर देवताओं की मदद करने के लिए युद्ध भूमि पहुंची. युद्ध के दौरान उन्होंने रक्तबीज की एक भी बूंद जमीन पर नहीं गिरने दी बल्कि अपनी जीभ को बाहर करके उसका पूरा रक्त पी लिया. रक्तबीज तो समाप्त हो गया लेकिन मां काली इतनी ज्यादा कुपित हो गईं की उन्होंने कोई भी शांत कराने में नाकाम रहा.

तब देवताओं ने भोलेनाथ से विनती कि कि वह महाकाली को शांत कराएं. भगवान शिव ने कई प्रयास किए पर वह असफल रहे. फिर भोलेनाथ काली को रोकने के लिए उनके सामने लेट गए जैसे ही गुस्से में मां काली ने अपने कदम बढ़ाए उन्हें एहसास हुआ कि वह भगवान शिव के ऊपर चरण रख रही है. यह देखकर वह शांत हुई चरण के पास जाकर लेट गए और मां काली ने देखा कि वह शिव पर कदम रख रही है. जब काली को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसने शर्मिंदगी में अपनी जीभ बाहर निकाल ली. 

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