Kalki Jayanti 2022 Kalki Avtar Samay aur Naam: सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल्कि की जयंती मनाई जाती है. इस बार यह शुभ तिथि 3 अगस्त दिन बुधवार को है. कल्कि जयंती पर रवि नामक योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग जैसा महायोग भी बन रहा है. इस योग में कल्कि अवतार की पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है. यह भगवान विष्णु का पहला ऐसा अवतार है, जिसकी जयंती जन्म से पहले ही देशभर में मनाई जाती है. भगवान विष्णु का दसवां अंतिम अवतार कलियुग के अंत में होगा. कलियुग के अंत में चारों तरफ पाप का बोलबाला होगा और धर्म के नाम पर हर जगह पाखंड चल रहा होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेंगे. कल्कि जयंती के मौके पर जानते हैं श्रीहरि के इस अंतिम अवतार के बारे में.
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कल्कि जयंती पर मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि कल्कि जयंती के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सारे संकट खत्म हो जाते हैं. श्रीहरि के भक्तों को यह दिन बहुत प्रिय है. कल्कि जयंती पर विष्णु के भक्त व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करते हैं. इस दिन विष्णुजी के मंत्र और विष्णु चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है.
इस समय भगवान कल्कि लेंगे अवतार
श्रीमद्भागवत पुराण और कल्कि पुराण के मुताबिक भगवान कल्कि कलियुग की समाप्ति और सतयुग के संधिकाल में अवतार लेंगे. उनका यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा और उनका जन्म यूपी के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर होगा. चारों तरफ जब पाप फैला होगा और अधर्म के ठेकेदारों का बोलबाला होगा तब वह लोगों के हृदय में भक्ति भाव जगाएंगे और धर्म की फिर स्थापना करेंगे.
इस नाम से पूरे विश्व में जाने जाएंगे भगवान कल्कि
श्रीमद्भागवत के बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि के अवतार की कथा विस्तार से दी गई है. कल्कि भगवान का यह अवतार निष्कलंक भगवान के नाम से पूरे जगत में जाना जाएगा. भगवान कल्कि के भाई भी देवताओं के अवतार होंगे और वे फिर से धर्म की स्थापना में अपने भाई का सहयोग करेंगे. उनके पिता कलियुग के अंत तक भगवान विष्णु के भक्त होंगे और उनको वेदों और पुराणों का पूरा ज्ञान होगा. उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा.