जानिए, कामदा एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है।

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ruchika sharma
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जानिए, कामदा एकादशी की व्रत विधि और महत्व के बारे में

कामदा एकादशी

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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है हिन्दू और वैष्णव समाज में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण मन जाता है फलदा एकादशी को श्री विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है

हर साल 24 एकादशियां होती है, अधिकमास या मलमास के आने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है पद्म पुराण के अनुसार कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

हर महीने की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को पूजा जाता है यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोनुकूल फल देने वाली होने के कारण एकादशी कामदा कही जाती है इस एकादशी की कथा श्री कृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनाई थी

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कामदा एकादशी व्रत तिथि:
*कामदा एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान श्री विष्णु की पूजा करें
*भगवान विष्णु को फल, फूल, तिल, दूध आदि पदार्थ अर्पित करें
*यह निर्जल व्रत है भगवान विष्णु के नाम का जप और कीर्तन करते हुए व्रत पूरा करे

व्रत का महत्व 
एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है इसलिए द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के बाद ही भोजन ही ग्रहण करें। इस प्रकार जो चैत्र शुक्ल पक्ष में कामदा एकादशी का व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

ध्यान रखें
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना बेहद जरूरी है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

व्रत कथा 
इस एकादशी की कथा और महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इससे पूर्व राजा दिलीप को यह महत्व वशिष्ठ मुनि ने बताया था।

कामदा एकादशी का लाभ
कामदा एकादशी का उपवास करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिन्दु धर्म में किसी ब्राह्मण की हत्या करना सबसे भयंकर पाप है। यह माना जाता है कि ब्राह्मण की हत्या का पाप भी कामदा एकादशी उपवास करने से मिट जाता है।

संतान की कामना
सच्चे और पवित्र मन से जो भी मांगा जाये तो ईश्वर उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। पंडित शर्मा के अनुसार संतान की प्राप्ति करने वालों के लिए कामदा एकादशी बेहद लाभकारी है।

*पत्नी पत्नी संयुक्त रूप से भगवान कृष्ण को पीला फल और पीले फूल अर्पित करें
*संतान गोपाल मंत्र का कम से कम 11 बार माला का जाप करें 
*माला जपने के बाद संतान प्राप्ति की कामना करें
*फल को पति पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें

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Source : News Nation Bureau

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