Kamada Ekadashi Vrat Katha : चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकदाशी तिथि को कामदा एकदाशी है. ये दिनांक 01 अप्रैल दिन शनिवार को है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों और राक्षस योनि से मुक्ति मिलती है. ये दिन भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बहुत खास है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में कामदा एकदाशी के दिन व्रत कथा के बारे में विस्तार से बताएंगे.
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कामदा एकादशी व्रत कथा
एका राज्य था,जिसका नाम भोगीापुर था. उस राज्य में राजा पुंडरीक शासन किया करते थे. वह राज्य धन-धा्य और ऐश्वर्य से भरा था. उसके राज्य में प्रेमी जोड़ा रहता था. जिसका नाम ललित और ललिता था. वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे. एक दिन की बात है, जब राजा पुंडरीक की सभा लगी थी, उसमें ललित अपने सभी कलाकारों के साथ संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा था. उस समय जब उसने ललिता को देखा, तो उसके सुर गड़बड़ होने लग गए. तब वहां उपस्थित सभी सेवकों ने राजा पुंडरीक को ये बात बताई. इस पर राजा पुंडरीक क्रोधित होकर ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. तब श्राप के कारण ललित राक्षस बन गया और उस दौरान उसका शरीर 8 योजन का हो गया. उसके बाद वह जंगल में रहने लग गया. उसके पीछे ललिता भी जंगल में पीछे भागते हुए चली गई. राक्षस होने की वजह से ललित का जीवन बहुत कष्टमय हो गया.
एक बार ललिता विंध्याचल पर्वत पर गई, वहां श्रृंगी ऋषि का आश्रम था. ललिता ने श्रृंगी ऋषि को प्रणाम किया और अपने आने का कारण बताया. तब श्रृंगी ऋषि ने कहा कि तुम परेशान मत हो. तुम कामदा एकदाशी के दिन व्रत रखो और उससे मिलने वाले फल को अपने पति ललित को समर्पित कर दो. इससे तुम्हारा पति राक्षस योनि से बाहर आ जाएगा.
वहीं अगले साल जब चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत आया, तब ललिता मे श्रृंगी श्रषि के द्वारा बताए गए व्रत को पूरे नियम से किया. ललिता ने भगवान विष्णु की अराधना की. इस दिन उसने कुछ नहीं खाया. फिर ललिता ने अगले दिन व्रत का पारण किया और अपने पति ललित के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की.
तब भगवान विष्णु की कृपा से ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया. फिर दोनों साथ रहने लग गए. एक बार की बात है, स्वर्ग से विमान आया है. वह दोनों प्रेमी जोड़ा उसपर बैठकर स्वर्ग चले गए.