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Mysteries Temple of India: तांत्रिकों का गढ़ है भारत का ये मंदिर, आजतक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाएं ये गुत्थी 

असम की राजधानी दीसपुर से 7 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. तंत्र साधना और काला जादू के लिए यह स्थान महत्वपूर्ण माना जाता है. यहाँ पर पशुओं की बलि दी जाती है, लेकिन मादा जानवरों की नहीं.

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Inna Khosla
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Kamakhya Temple Tantric Hub

Kamakhya Temple Tantric Hub( Photo Credit : News Nation)

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Kamakhya Mandir Ka Rahasya: कामाख्या देवी मंदिर को तांत्रिको का गढ़ कहा जाता है. माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस शक्तिपीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. ये मंदिर असम की गुवाहाटी में स्थित है. यहां त्रिपुर, सुंदरी, मातंगी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित हैं. इसके अलावा सात अन्य रूप की प्रतिमाएं अलग-अलग मंदिरों में स्थित की गई हैं, जो मुख्य रूप से मंदिर को घेरे हुए हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार साल में एक बार अम्बूवाची मेले के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह स्थिति महा मुद्रा से निरंतर तीन दिनों तक जल प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाह होता है. इस मंदिर के चमत्कार और रहस्य के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं. हजारों ऐसे किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारों और रहस्यमयी होने का पता चलता हैं.

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कामाख्या देवी मंदिर की रहस्यमयी बातें 

कामाख्या देवी मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ है. यहां पर दुर्गा या अम्बे मां की कोई मूर्ति देखने को आपको नहीं मिलेगी. यहां एक कुंड सा बना हुआ है जो हमेशा फूलों से ढका रहता है और उससे हमेशा प्राकृतिक जल निकलता रहता है. पूरे भारत में रजस्वला यानि मासिक धर्म को अशुद्ध माना जाता है. लड़कियों को इस दौरान अक्सर अछूत समझा जाता है, लेकिन कामाख्या के मामले में ऐसा नहीं है. हर साल यहां पर अम्बूवाची मेले के दौरान पास में स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी 3 दिन के लिए लाल हो जाता है. पानी का ये लाल रंग देवी की मासिक धर्म के कारण होता है. फिर 3 दिन बाद श्रद्धालुओं की मंदिर में काफी भीड़ उमड़ पड़ती है. 

इस मंदिर में दिया जाने वाला प्रसाद भी दूसरी शक्तिपीठों से बिल्कुल अलग है. इस मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है. कहा जाता है कि जब मां को 3 दिन का रजस्वला होता है तो सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है. 3 दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं. तब वह वस्त्र माता के रथ से लाल रंग से भीगा होता है. इस कपड़े को अंब्बू वाची वस्त्र कहते हैं. इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है. 

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यहां पर कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं है. इस जगह पर एक समतल चट्टान के बीच बिना विभाजन देवी की योनी को दर्शाता है. एक प्राकृतिक झरने के कारण ये जगह हमेशा गीली रहती है. इस झरने के जल को काफी प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है. माना जाता है कि इस जल के नियमित सेवन से आप हर बिमारी से निजात पा सकते हैं. वैसे इस मंदिर में पशुओं की बलि दी जाती है. भैंसे और बकरी की बलि तो यहां पर आम है. लेकिन यहां पर किसी मादा जानवर की बलि नहीं दी जाती है. इसके साथ ही मान्यता है कि मां को प्रसन्न करने के लिए आप कन्या पूजन और भंडारा करा सकते हैं, जिससे आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी. 

इस जगह को तंत्र साधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है. यहां पर साधुओं का तांता लगा रहता है. यहां सबसे ज्यादा काला जादू भी किया जाता है. अगर कोई व्यक्ति काला जादू से ग्रसित है. तो वो यहां पर आकर इस समस्या से निजात पा सकता है. कामाख्या के तांत्रिक और साधु चमत्कार करने में सक्षम होते हैं. कई लोग विवाह, बच्चे, धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामख्या की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं. कहते हैं कि यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में भी समर्थ होते हैं. हालांकि वह अपनी शक्तियां का इस्तेमाल काफी सोच विचारकर करते हैं. 

कामख्या मंदिर तीन हिस्सों में बंटा हुआ है. पहला हिस्सा सबसे बड़ा है और इसमें हर व्यक्ति को जाने नहीं दिया जाता. वहीं दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं जहां पर एक पत्थर से हर वक्त पानी निकलता रहता है. माना जाता है कि महीने के 3 दिन माता को रजस्ला होता है. और इन तीन दिनों तक मंदिर के पट बंदे रहते हैं. तीन दिनों बाद दोबारा बड़ी धूमधाम से मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

Kamakhya Temple Tantric Hub
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