नवरात्रि (Sharad Navratri 2019) पर कलश स्थापना के साथ नौ दिन व्रत रखने वाले विधि-विधान से कन्या पूजन (Kanya Pujan) करते हैं. माना जाता है ऐसा करने से ही संपूर्ण पुण्य की प्राप्ति होती है. कन्या पूजन (Kanya Pujan) अष्टमी और नवमी के दिन शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) में करने का विधान है. इस अवसर पर हलवा-पूरी, चने आदि के प्रसाद से माता को भोग चढाते हैं इसके पश्चात नौ कन्याओं को सम्मान व प्रेम पूर्वक भोजन कराया जाता है. आइये जानें किस मुहूर्त में कितनी कन्याओं का पूजन करने का विधान है.
बता दें नवरात्रि (Sharad Navratri 2019) के आठवें दिन अष्टमी मनाई जाती है. इस बार अष्टमी 06 अक्टूबर को है:
अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
- अष्टमी की तिथि: 06 अक्टूबर 2019
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 05 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 51 मिनट से
- अष्टमी तिथ समाप्त: 06 अक्टूबर 2019 को सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक.
कैसी और कितनी कन्याओं का करें चयन ?
स्कन्द पुराण के अनुसार, कन्या पूजन के लिए दो वर्ष से 10 वर्ष की कन्याओं का पूजन करना ही श्रेष्ठ होता है. यानी कन्या रजस्वला न हो. वैसे तो 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है लेकिन आप चाहें तो नौ से ज्यादा कन्याओं का भी पूजन कर सकते हैं.नौ कन्याओं के साथ एक बालक भी इस पूजन में शामिल होता है, जिसे हनुमान के रूप में देखा और पूजा जाता है. जो नौ कन्याओं की पूजा करने में असमर्थ होता है, वह एक कन्या की भी पूजा कर सकता है. लेकिन पूजा विधि विधान के साथ ही करना चाहिए. इस दिन इस बात का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए कि अपनी कुल देवी की भी पूजा करनी चाहिए.
किस साल की कन्या पूजन से क्या है लाभ
- 2 वर्ष की कन्या गरीबी दूर करती है.
- 3 वर्ष की कन्या धन प्रदान करती है.
- 4 वर्ष की कन्या अधूरी इच्छाएं पूरी करती है.
- 5 वर्ष की कन्या रोगों से मुक्ति दिलाती है.
- 6 वर्ष की कन्या विद्या, विजय और राजसी सुख प्रदान करती है.
- 7 वर्ष की कन्या ऐश्वर्य दिलाती है.
- 8 वर्ष की कन्या शांभवी स्वरूप से वाद-विवाद में विजय दिलाती है.
- 9 वर्ष की कन्या दुर्गा के रूप में शत्रुओं से रक्षा करती है.
- 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा के रूप में आपकी सभी इच्छाएं पूरी करती है.
इस विधि से करें पूजा
एक दिन पहले ही कन्याओं को आमंत्रित करें. जब सभी नौ कन्याएं आ जाएं तो अपने पुत्रों अथवा स्वयं सभी कन्याओं का पैर धोकर, माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाकर उन्हें आसन पर बैठाएं. कन्याओं को विशुद्ध घी से बना भोजन खिलाने के पश्चात फल के रूप में प्रसाद, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें. विदा करते समय एक बार फिर उनका चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
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क्यों करते हैं कन्या पूजन ?
नवरात्रि (Sharad Navratri 2019) के पहले दिन श्रीगणेश जी की पूजा के पश्चात माता शैलपुत्री की पूजा शुरू होती है, अंतिम दिन यानी नवरात्रि (Sharad Navratri 2019) को सिद्धिदात्री की पूजा के साथ नवरात्रि (Sharad Navratri 2019) सम्पन्न होती है. अष्टमी और नवमी के दिन पूजी जा चुकी नौ देवी को कन्या रूप में मानकर नौ कुंआरी कन्याओं को घर बुलाकर स्वागत किया जाता है.
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मान्यता है कि इससे आदि शक्ति प्रसन्न होती हैं. कन्या पूजन के बाद ही उपवासी का व्रत पूरा होता है. कन्याओं को भोग खिलाकर उन्हें दक्षिणा अथवा कोई भेंट प्रदान करना जरूरी होता है. इसके पश्चात ही स्वयं और परिवार को प्रसाद वितरित किया जाता है. कहते हैं इसके पश्चात ही व्रत पूरा माना जाता है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो