हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के अलावा साल में 11 अन्य संक्रांति पड़ती है. हिंदू धर्म में संक्रांति का बड़ा महत्व होता है. 12 संक्रांति में एक कन्या संक्रांति पड़ती है. कन्या संक्रांति इसी महीने की 16 और 17 तारीख को मनाई जाएगी. कन्या संक्रांति में गरीबों को दान दिया जाता है. इसके साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना कराई जाती है. कन्या संक्रांति के दिन नदी या जलाशयों में स्नान करने की अहमियत होती है. नदी या जलाशयों में स्नान करके भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. पितरों को याद करने के बाद दान करना अति जरूरी माना जाता है.
संक्रांति क्या होता
जब सूर्य एक राशि से हटकर अन्य राशि में प्रवेश करता है तो इस घटनाक्रम को संक्रांति कहते हैं. ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक कुंडली में सूर्य द्वारा जगह बदलने का असर भी साफ दिखाई देता है. यही वजह है कि हर संक्रांति का अपना महत्व होता है. जब सूर्य अपनी स्थिति बदलकर कन्या राशि में प्रवेश करता है तो वह संक्रांति कन्या संक्रांति कहलाती है. 16 और 17 सितंबर को इस बार लोग कन्या संक्रांति मना रहे हैं. इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था.
कन्या संक्रांति की अहमियत
सभी संक्रांतियों में लोग स्नान आदि करके दान करते हैं. कन्या संक्रांति में भी दान का महत्व है. लोगों गरीबों को दान देते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ कराया जाता है.
भगवान विश्वकर्मा ने रचा था ब्रह्मांड
कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है. उड़ीसा और बंगाल जैसे क्षेत्रों में इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने इस ब्रह्मांड को रचा था. उन्होंने देवों के महल और शास्त्रों का भी निर्माण किया था। कहा जाता है यह दुनिया विश्वकर्मा के हाथों रचा गया है.
Source : News Nation Bureau