कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू और सिख धर्म के लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से कार्तिक पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवों के देव महादेव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इस कारण भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं।
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कार्तिक पूर्णिमा को आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से श्रेष्ठ दिन माना गया है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा सोमवार के दिन है। सोमवार को भगवान शिव का सबसे प्रिय दिन कहा जाता है। भरणी और कृतिका नक्षत्र की उपस्थिति कार्तिक पूर्णिमा पर होने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
सोमवार को प्रातः काल से ही भरणी नक्षत्र उपस्थित रहेगा जो शाम को 4 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। 4 बजकर 26 मिनट से कृतिका नक्षत्र शुरू हो जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा पर भरणी और कृतिका दोनों ही नक्षत्रों की उपस्थिति से इस बार गंगा स्नान और दान का महत्व अधिक है।
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कार्तिक पूर्णिमा पर शाम को सात बजकर 55 मिनट तक बहुत शुभ समय है। ऐसे में गंगा स्नान का पूर्ण लाभ उठाएं। कालसर्प दोष, पितृ दोष व आयु दोष के जातक गंगा स्नान करें और ब्राह्मणों को दान करें। पिंड दान करें, ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले। दूध, दही, चावल आदि का भी दान करें।
Source : News Nation Bureau