karva Chauth 2019: चांद देखने के बाद इन चीजों से खोलें व्रत, नहीं होगी कोई परेशानी

महिलाएं इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाती है. पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की दुआ मांगती है. इस चक्कर में कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य की परवाह भी नहीं करतीं.

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Aditi Sharma
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karva Chauth 2019: चांद देखने के बाद इन चीजों से खोलें व्रत, नहीं होगी कोई परेशानी

करवा चौथ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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हिंदू धर्म में करवाचौथ (Karva Chauth 2019) के त्योहार का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और फिर रात को चांद निकलने के बाद अर्घ्य देकर और पति का चेहरा छलनी से देखने के बाद व्रत खोलती हैं. करवा चौथ का त्योहार हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल ये तिथि 17 अक्टूबर को पड़ रही है. महिलाएं इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाती है. पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की दुआ मांगती है. इस चक्कर में कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य की परवाह भी नहीं करतीं.

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ऐसे में हम आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनको फॉलो करने से आपको करवा चौथ का व्रत बिना किसी परेशानी के अच्छे से हो जाएगा.

  • करवा चौथ के दिन अगर हो सके तो चाय और कॉफी से परहेज करें
  • व्रत खोलने के लिए पानी पीने के बाद दो बादाम, एक या दो अखरोट और थोड़े सूरजमुखी के बीज खाएं.
  • खाने में आप तले हुए खाने से परहेज करें तो बेहतर है. ऐसा खाना खाएं जो हल्का हो और आसानी से पच जाए
  • आप चाहें तो डिनर में पनीर भूर्जी के साथ रोटी, दाल के साथ उबले हुए चावल या पुलाव जैसी चीजें खा ससकते हैं.

करवाचौथ का इतिहास

1. प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ की परम्परा देवताओं के समय से चली आ रही है. बताया जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया था और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी. इस हालत में देवताओं को कुछ सूझ नहीं रहा था और फिर वो अपनी इस समस्या के समाधान के लिए देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की. तब इस संकट से बचने के लिए ब्रह्मदेव ने कहा कि देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.

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ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर निश्चित ही इस युद्ध में देवताओं की जीत होगी. ब्रहदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया. ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों यानी देवताओं की विजय के लिए प्रार्थना की. उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई. इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया. उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था. माना जाता है कि इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई.

2. मान्यता ये भी है कि श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवाचौथ की यह कथा सुनाते हुए कहा था कि पूर्ण श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-सौभाग्य और धन-धान्य की प्राप्ति होने लगती है. श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था. इस व्रत के प्रभाव से ही अर्जुन सहित पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना को पराजित कर विजय हासिल की.

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