Karva Chauth Vrat Katha: हर साल दीवाली से 11 दिन पहले करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. सभी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं. रात को चांद देखने के बाद ये व्रत खोला जाता है, जिसमें चांद की पूजा करने के बाद पति की आरती उतारते हैं और फिर पति के हाथों से जल और कुछ मीठा खाकर ये व्रत खोलते हैं. शाम को शुभ मुहूर्त में करवा चौथ कथा सुनी जाती है और फिर रात को चांद के आने का इंतज़ार किया जाता है. इस साल 20 अक्तूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा और इस साल कथा सुनने के लिए 1 घंटे 16 मिनट का शुभ मुहूर्त होगा. तिथि से लेकर कथा सुनने के शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय के समय के बारे में भी आप जान लें फिर आगे करवा चौथ कथा पढ़ेंगे.
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय और पूजा मुहूर्त
करवा चौथ रविवार, अक्टूबर 20, 2024 को है
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 05:46 पी एम से 07:02 पी एम
- करवा चौथ व्रत समय - 06:25 ए एम से 07:54 पी एम
- करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय - 07:54 पी एम
करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)
प्राचीन समय की बात है, एक गाँव में एक बहुत ही सुंदर और सुशील बहन थी, जिसके सात भाई थे. बहन अपने भाइयों से बहुत स्नेह करती थी और वे भी उसे बहुत प्यार करते थे. उसका विवाह एक अच्छे घर में हुआ था. शादी के बाद, बहन ने करवाचौथ का व्रत रखना शुरू किया. यह व्रत करवा चौथ के दिन पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है, जिसमें महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद ही भोजन करती हैं.
एक बार की बात है करवा चौथ का दिन आया और बहन ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा. उसके सभी भाई अपनी बहन के इस व्रत को देखकर चिंतित थे, क्योंकि वह पूरे दिन भूखी-प्यासी रह रही थी. भाइयों को अपनी बहन की भूख और प्यास देखकर दुःख हो रहा था. वे उसे जल्दी भोजन कराना चाहते थे ताकि वह परेशान न हो. भाइयों ने एक योजना बनाई और पास के पेड़ पर चढ़कर एक दर्पण की मदद से बहन को धोखा देने का निश्चय किया. उन्होंने पेड़ों के पीछे से धूप में एक दर्पण का उपयोग कर एक चमकदार रोशनी उत्पन्न की, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ कि चांद निकल आया है.
जब बहन ने आकाश की ओर देखा, तो उसे वह चमक चांद की तरह लगी. यह देखकर उसने सोचा कि चांद निकल आया है और अब वह व्रत खोल सकती है. भाइयों के कहने पर, बहन ने उस नकली चांद को देखकर अपना व्रत तोड़ दिया और भोजन कर लिया. जैसे ही उसने भोजन किया उसकी थोड़ी ही देर बाद उसे पता चला कि यह असली चांद नहीं था बल्कि भाइयों ने उसे छल किया था. उस रात जब उसका पति घर आया तो वह बहुत बीमार पड़ गया और बेहोश हो गया. बहन को समझ में नहीं आया कि अचानक ऐसा क्यों हुआ.
बहन बहुत दुखी हुई और उसने अपनी गलती के लिए पश्चाताप किया. वह अपने पति की हालत देखकर रोने लगी और उसने देवी मां से प्रार्थना की कि उसकी गलती को माफ किया जाए. उसने पुनः सच्चे मन से करवाचौथ का व्रत रखा और इस बार सही समय पर चांद निकलने के बाद ही व्रत खोला. उसकी सच्ची भक्ति और प्रार्थना से देवी मां प्रसन्न हुईं और उसके पति को जीवनदान मिला. उसकी तपस्या और व्रत के प्रभाव से उसके पति की जान बच गई. तब से यह माना जाता है कि करवाचौथ का व्रत पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ करना चाहिए और तब ही इसका फल मिलता है. इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि करवाचौथ का व्रत अटल विश्वास और सच्चे मन से करना चाहिए और किसी प्रकार के छल-कपट से बचना चाहिए.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)