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Kedarnath Dham Yatra Connection with Badrinath: इस कारण से आज तक कोई नहीं कर पाया केदारनाथ यात्रा के बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा पूरी, इन शक्तियों का होता है प्रभाव

Kedarnath Dham Yatra Connection with Badrinath: देश के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में भगवान शिव लिंग रूप में विराजमान हैं. यहां हर साल मई में पट खुलने के बाद बड़ी संख्या में शिव भक्त आते हैं.

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Gaveshna Sharma
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इस कारण से आज तक कोई नहीं कर पाया बद्रीनाथ धाम की यात्रा पूरी

इस कारण से आज तक कोई नहीं कर पाया बद्रीनाथ धाम की यात्रा पूरी( Photo Credit : Social Media)

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Kedarnath Dham Yatra Connection with Badrinath: देश के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम में भगवान शिव लिंग रूप में विराजमान हैं. यहां हर साल मई में पट खुलने के बाद बड़ी संख्या में शिव भक्त आते हैं. वहीं, बद्रीनाथ धाम के भी पट खुलने वाले हैं. शास्त्रों के अनुसार, बदरीनाथ धाम के दर्शन केदारनाथ यात्रा के बिना अपूर्ण माने जाते हैं. यहां तक कि, मान्यता है कि केदारनाथ यात्रा के बिना कोई भी व्यक्ति बद्रीनाथ धाम की यात्रा कर ही नहीं सकता है. ऐसे में चलिए जानते हैं क्या है केदारनाथ धाम का बद्रीनाथ धाम से नाता? और साथ ही जानेंगे इन दोनों धामों से जुड़े कई रोचक तथ्यों के बारे में. 

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6 मई 2022 को दर्शन के लिए केदारनाथ धाम के पट खोल दिए गए हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कण-कण में भगवान शिव (Lord Shiva) की मौजूदगी का अनुभव होता है. उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में तीन बेहद खूबसूरत पर्वतों के बीच केदारनाथ धाम स्थित है. हर साल यहां लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त अपने आराध्य के दर्शन पाने आते हैं.

केदारनाथ धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर भगवान से भक्तों का सीधा मिलन होता है. पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान भोलेनाथ ने पांडवों को इस स्थान पर दर्शन देकर वंश व गुरु हत्या के पाप से मुक्त किया था. उसके बाद 9वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य केदारनाथ धाम से सशरीर स्वर्ग गए थे. केदारनाथ धाम में यह उल्लेख मिलता है कि कोई व्यक्ति भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है तो उसकी यात्रा सफल नहीं होती.

केदारनाथ धाम की महत्वपूर्ण बातें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले नर और नारायण ऋषि ने केदार श्रृंग पर तपस्या की थी. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर और उनकी प्रार्थना के अनुसार हमेशा ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने का वर दिया था.

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भगवान शिव पांडवों की भक्ति से प्रसन्न हुए थे
केदारनाथ धाम को लेकर एक अन्य कथा भी प्रचलित है कि भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें भ्रातृहत्या से मुक्त कर दिया था. मान्यता है कि पांडव महाभारत में विजयी होने पर भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. जिसके लिए उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद चाहिए था, परंतु भगवान उनसे रुष्ट थे. फिर पांडव भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए केदार पहुंचें. इसके बाद भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य पशुओं के बीच चले गए.

उसके बाद भीम ने विशाल रूप धारण कर अपने पैर दो पहाडों पर फैला दिए. इस दौरान भीम के पैर के नीचे से सारे पशु निकल गए परंतु बैल बने भगवान शिव उनके पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद उस बैल पर भीम बलपूर्वक झपटे, लेकिन वो बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा. इसके बाद उस बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग भीम ने पकड़ लिया. फलस्वरूप भगवान शिव पांडवों की भक्ति और दृढ संकल्प देखकर प्रसन्न हुए और उनको दर्शन देकर पाप मुक्त किया. मान्यता है कि तब से बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में भगवान शिव केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं.

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