खरमास शुरू हो चुका है. खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य न किए जाने की मान्यता है. हालांकि खरमास में तीर्थयात्रा की जा सकती है. मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 2021 को खरमास समाप्त हो जाएगा. खरमास की एक प्रचलित कथा है, जिसके अनुसार एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकले लेकिन उन्हें कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी. क्योंकि वे रुक जाते तो पूरी सृष्टि ठहर जाती. लगातार चलते रहने से उनके रथ के घोड़े थक गए और उन्हें प्यास लगी.
घोड़ों की दशा देख सूर्य देव चिंतित हो गए. घोड़ों को आराम देने के लिए वह एक तालाब के किनारे गए. लेकिन तभी उन्हें आभास हुआ कि रथ रुक गया तो सृष्टि के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. तालाब के किनारे दो खर यानी गंधर्व खड़े थे. सूर्यदेव ने घोड़ों को तालाब किनारे छोड़ दिया और घोड़ों की जगह पर गर्दभों को अपने रथ में जोड़ दिया. इससे उनकी रथ की गति धीमी हो गई.
जैसे-तैसे एक मास बीता. उधर सूर्य देव के घोड़े भी आराम के बाद ऊर्जा से युक्त हो चुके थे. वे फिर से रथ में जुत गए. इस तरह हर साल हर सौरवर्ष में एक सौर मास ‘खर मास’ कहलाता है.
खरमास में क्या करें
- भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है.
- सूर्यदेव की उपासना करें. सूर्य की उपासना से तरक्की प्राप्त होती है.
- ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधुओं की सेवा करें. इससे शुभ फल मिलता है.
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान का स्मरण करें.
- जमीन पर सोएं. पत्तल पर भोजन करें.
खरमास में क्या न करें
- विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य न करें.
- लड़ाई-झगड़ा और झूठ बोलने से बचना चाहिए.
- मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau