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मंडप ही नहीं सड़कों पर भी सोने के झाड़ू से होती है सफाई, क्या है जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा में इस रस्म का महत्त्व

पुरी के राजा झाड़ू देने वाले कर्मचारी बनकर भगवान जगन्नाथ रथयात्रा से पहले ना सिर्फ सोने के झाड़ू से रथ की सफाई करते हैं बल्कि सड़क भी साफ करते हैं. इस रस्म को क्या रहते हैं आइए जानते हैं

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Inna Khosla
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king of puri turns sweeper and clean Lord Jagannath Rath with a golden broom

Jagannath Rath Yatra 2023( Photo Credit : Social Media)

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के कई नियम हैं. भव्य रथयात्रा के रथ कैसे बनाए जाएंगे, सोने की लकड़ी से ही क्यों पेड़ काटे जाएंगे, भगवान जगन्नाथ के रथ में कितने पहिए होंगे, रथ का रंग क्या होगा, किस शुभ मुहूर्त में यात्रा निकाली जाएगी... ऐसे कई नियमों के साथ एक और नियम है या यूं कहें रीत है कि सोने के झाड़ू से सफाई होने के बाद ही रथ यात्रा निकाली जाएगी. आपको इस स्टोरी में हम बताने जा रहे हैं कि क्यों ओड़ीशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ रथयात्रा से पहले शाही परिवार के वंशज सोने के झाड़ू से रथ और सड़क की सफाई करते हैं. 

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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 20 जून 2023 दिन मंगलवार को निकाली जाएगी. इस यात्रा का समापन अगले दिन 21 जून 2023 को शाम 7:09 पर होगा. भव्य रथ यात्रा में तीन रथ होते हैं. भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष या गरुड़ध्वज होता है, इस रथ में 16 पहिए होते हैं और रंग पीला या फिर लाल होता है. भगवान बलभद्र के रथ को तालध्वज कहते हैं, जो लाल या हरा रंग का होता है जिसमें 14 पहिए होते हैं. इसके साथ ही देवी सुभद्रा के रथ को पद्म रथ या दर्पदलन कहा जाता है, जो काले या नीले रंग का होता है और इसमें 12 पहिए होते हैं 

छर पहनरा की परंपरा

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जब ये रथ तैयार हो जाता है तो पुरी के राजा गजपति की पालकी आती है जिसमें उन्हीं से वंशज सवार होते हैं, वो इन रथों की पूजा करते हैं, और प्राचीनकाल से चली आ रही परंपरा का पालन करते हैं. उस परंपरा के हिसाब से राजा सोने की झाड़ू से रथ के मंडप को साफ करते हैं. इसके बाद रथ यात्रा के रास्तों को को भी सोने के झाड़ू से ऐसे ही साफ किया जाता है. इस पूजा अनुष्ठान को 'छर पहनरा'  नाम से जाना जाता है. इन तीनों रथों की वे विधिवत पूजा करते हैं और 'सोने की झाड़ू' से रथ मण्डप और यात्रा वाले रास्ते को साफ किया जाता है.

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यह भी पढ़ें: Jagannath Temple Bhog: दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनता है भगवान जगन्नाथ पुरी के लिए 56 भोग का महाप्रसाद

तो आप अगर रथ यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं तो आपको ये खास रस्म देखने का मौका भी मिलेगा. 

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