वैशाख माह (vaishakh month 2022) की शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु (lord vishnu) के अवसार परशुराम जी (bhagwan parshuram) का जन्म हुआ था. भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था. परशुराम जी की जयंती (parshuram jayanti 2022) वैशाख मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इस पावन दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता. अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने की वजह से ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी. शास्त्रों में 8 चिरंजीव बताए गए हैं, परशुराम (parshuram jayanti date 2022) अष्टचिरंजीवियों में से एक हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि शास्त्रनुसार कौन-से अष्ट चिरंजीवी पृथ्वी पर आज भी मौजूद हैं.
यह भी पढ़े : Adinath Bhagwan Aarti: आदिनाथ भगवान की रोजाना करेंगे ये आरती, शुभ फल की होगी प्राप्ति
आठ चिरंजीवी (8 chiranjeevi names in Hindi)
ऋषि मार्कंडेय
भगवान शिव के परमभक्त ऋषि मार्कंडेय अल्पायु थे. लेकिन, उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध किया और वे चिरंजीवी बन गए.
हनुमान जी
त्रेता युग में श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को माता सीता ने अजर-अमर होने का वरदान दिया था. इसी वजह से हनुमान जी भी चिरंजीवी माने जाते हैं.
यह भी पढ़े : Adinath Bhagwan Chalisa: आदिनाथ भगवान की पढ़ेंगे ये चालीसा, मनोकामनाएं होंगी पूरी और समाप्त होगी दरिद्रता
वेद व्यास
वेद व्यास चारों वेदों ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन और 18 पुराणों के रचनाकार हैं.
परशुराम
परशुराम जी भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं. परशुरामजी ने पृथ्वी से 21 बार अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया था.
यह भी पढ़े : Parshuram Jayanti 2022 Janm Katha: परशुराम जी को मिला था चिरंजीवी रहने का वरदान, जानें उनकी जन्म कथा
अश्वत्थामा
गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वथामा भी चिरंजीवी है. शास्त्रों में अश्वत्थामा को भी अमर बताया गया है.
विभीषण
रावण के छोटे भाई और श्रीराम के भक्त विभीषण भी चिरंजीवी हैं.
कृपाचार्य
महाभारत काल में युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि है. कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु है.
राजा बलि
राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं. भगवान विष्णु के भक्त राजा बलि भगवान वामन को अपना सबकुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए. इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल (8 Chiranjeevi names) बनना स्वीकार किया था.