Advertisment

Aditya Hridaya Stotra: जीवन के कष्टों का होगा निवारण और बनेंगे सरकारी नौकरी के योग, इस स्तोत्र का पाठ जब करेंगे रोज

आदित्य हृदय स्तोत्र (Aditya hrudayam stotra) सूर्य देव से संबंधित है. इस स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है. इस स्तोत्र का पाठ रोजाना करने से जीवन के अनेक कष्टों का निवारण होता है.

Advertisment
author-image
Megha Jain
New Update
Aditya hrudayam stotram Path

Aditya hrudayam stotram Path( Photo Credit : social media)

Advertisment

ज्योतिष शास्त्र (jyotish shastra) में सूर्य ग्रह को सरकारी नौकरी, पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान का कारक माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति प्रबल होती है. ऐसे लोगों की कुंडली में सरकारी नौकरी के योग बनते हैं. वैसे तो ज्योतिष विज्ञान में कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने के लिए बहुत से उपाय बताए गए हैं. इनमें आदित्य हृदय स्तोत्र (Aditya hrudayam stotram) का पाठ सबसे कारगर उपाय है. माना जाता है कि आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से अप्रत्याशित लाभ (aditya hridaya stotra) मिलता है. खासकर रविवार के दिन इस उपाय को जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से ना सिर्फ आपकी कुंडली में सरकारी नौकरी के योग बनेंगे बल्कि, लंबी उम्र, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास और सभी काम में सफलता मिलेगी. 

Advertisment

यह भी पढ़े : Kark Sankranti 2022 Vishesh Mantra: कर्क संक्रांति के दिन सूर्य देव के इन विशेष मंत्रों का जाप, दिलाएगा आपको चौंका देने वाले ये लाभ

आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव से संबंधित है. इस स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है. आदित्य हृदय स्तोत्र का उल्लेख रामायण में वाल्मीकि जी द्वारा किया गया है जिसके अनुसार इस स्तोत्र को ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए दिया था. शास्त्रों में इस स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही शुभ और लाभकारी बताया गया है. ज्योतिषशास्त्र में भी आदित्य हृदय स्तोत्र को काफी महत्व दिया गया है. इस स्तोत्र का पाठ रोजाना करने से जीवन के अनेक कष्टों का निवारण (benefits of aditya hridaya stotra) होता है.   

यह भी पढ़े : Kark Sankranti 2022 Katha and Puja Vidhi: जब महादेव ने लिया था भगवान विष्णु का भार अपने सिर, फिर लग गयी थी विवाह पर पाबंदी

Advertisment

आदित्य हृदय स्तोत्रम - (powerful mantra)

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥॥ 
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम् । येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् । जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥॥
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम् । चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् ॥॥

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् । पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥॥
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: । एष देवासुरगणांल्लोकान् पाति गभस्तिभि: ॥॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥॥
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥॥
आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान् । सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥॥

Advertisment

हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान् । तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥॥
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: । अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: । घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: । तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥॥

नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: । ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: । नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: । नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे । भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने । कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥॥

तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे । नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: । पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: । एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् ॥॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च । यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च । कीर्तयन् पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥॥

Advertisment

पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम् । एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि । एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् ॥॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत् तदा ॥ धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान् ॥॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् । त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् ॥॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम् । सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् ॥॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: । निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥॥

Aditya Hridaya Stotra aditya hrudayam stotram Aditya hrudayam stotra aditya hrudayam stotram lyrics aditya hrudayam stotram hindi aditya hrudayam stotram powerful mantra aditya hrudayam stotram suryadev aditya hrudayam stotram surya puja
Advertisment
Advertisment