भगवान जगन्नाथ के 25जून को होने वाले रथोत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है। इस क्रम में शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल कृष्ण पक्ष पूर्णिमा पर जगन्नाथपुर मंदिर में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहना सुभद्रा के विग्रहों का महास्नान कराया जाएगा। विदी विधान से स्नान के बाद उन्हें उनके स्थान पर स्थापित किया जाएगा। महास्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाएंगे। इसके बाद भगवान को मंदिर के अलग कक्ष में रखा जाएगा।
इस दौरान भगवान के दर्शन नहीं होंगे और सिंहासन पर मुकुट की पूजा होगी। भगवान के श्रृंगार कर आरती होगी और इसके बाद से 15 दिन के लिए भगवान एकांतवास में चले जाएंगे। दस जून से भगवना जगन्नाथ का 15 दिनों का दर्शन नहीं हो सकेगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार स्नान यात्रा के बाद भगवान बीमार हो कर एकांतवास में चले जाते हैं। इसके पंद्रह दिन बाद अषाढ़ शुक्ल द्वितीया को धूमधाम से उनकी रथयात्रा निकाली जाती है। इससे पूर्व भगवान का नेत्रदान अनुष्ठान होता है। 25 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी। 24 जून को नेत्रदान अनुष्ठान होगा।
और पढ़ें: दिल की सेहत के लिए अच्छा होता सरसों के तेल में खाना पकाना
25 जून को चलती रथयात्रा को भक्त रस्से से खींचते हुए मौसी बाड़ी पहुंचाएंगे। यहां भगवान आठ दिनों का विश्राम करेंगे। नौंवे दिन यानि 4 जुलाई को फिर भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मुख्य मंदिर में लौटेंगे। इस दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए शामिल होते है।
रथयात्रा के लिए बलराम श्रीकृष्ण और सुभद्रा के लिए अलग-अलग रथ बनाये जाते है। इस यात्रा में भगवन जगन्नाथ जी का रथ सबसे पीछे होता है।
बेल्डीहकालीबाड़ी में भी कराया जाएगा स्नान
बेल्डीहकालीबाड़ी में भी भगवान को शुक्रवार को स्नान कराया जाएगा। प्रभु जगन्नाथ स्नान अनुष्ठान सुबह 10 बजे शुरू होगा, जो दोपहर 12 बजे तक चलेगा। पंडित नारायण पांडेय स्नान संपन्न कराएंगे। यह जानकारी मंदिर समिति के प्रमुख शशि तिवारी ने दी।
25 से 4 जुलाई तक मेला
नौ दिनों तक जगन्नाथपुर में हर साल की तरह मेला का आयोजन किया जाएगा। पारंपरिक हथियार, बर्तन, मिठाई आदि की बिक्री के लिए इस मेले की पहचान है और लोग पूरे साल इसका इंतजार भी करते हैं।
और पढ़ें: WhatsApp का नया तोहफा, 'Recall' फीचर से पांच मिनट के अंदर वापस ले पाएंगे मैसेज
Source : News Nation Bureau