Advertisment

Amarnath Yatra History and Gufa Mystery: अमरनाथ की यात्रा से जुड़ा जानें रोचक रहस्य और इतिहास, बदल जाता है शिवलिंग का आकार

अमरनाथ धाम (Amarnath dham) हिमालय की दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है. अमरनाथ गुफा (amarnath cave) के शिवलिंग को अमरेश्वर कहा जाता है. इस साल अमरनाथ यात्रा (amarnath dham siginificance) 30 जून से शुरु हो रही है.

author-image
Megha Jain
एडिट
New Update
Amarnath Yatra 2022 Mystery and History

Amarnath Yatra 2022 Mystery and History( Photo Credit : social media)

Advertisment

अमरनाथ धाम (Amarnath dham) हिमालय की दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है. भारतीय संस्कृति की सुप्रसिद्ध तीर्थ यात्राओं में बाबा अमरनाथ की यात्रा का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से गुफा में बने शिवलिंग का दर्शन करता है उसको जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है. भगवान शिव ने भी इसी गुफा में माता पार्वती को अमृत्व का रहस्य (Amarnath yatra 2022) बताया था. इसलिए, इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है.

यह भी पढ़े : Feng Shui Tips For Unmarried People: अनमैरिड लोग अपने बेडरूम में न रखें ये सामान, डूब जाएगी वरना प्रेम की नैय्या

अमरनाथ गुफा के शिवलिंग को अमरेश्वर कहा जाता है. बर्फ से बने इस शिवलिंग को 'बाबा बर्फानी' भी कहा जाता है. इस साल अमरनाथ यात्रा (amarnath dham siginificance) 30 जून से शुरु हो रही है जो कि 43 दिनों के बाद 11 अगस्त 2022 यानी रक्षाबंधन के दिन खत्म होगी. तो, चलिए अमरनाथ से जुड़े चौंकाने वाले इतिहास और रहस्य के बारे में जानते हैं.  

यह भी पढ़े : Bel Patra On Shivling: शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हुए रखें इन बातों का ध्यान, शिव जी हो जाते हैं अप्रसन्न और उठाने पड़ते हैं भारी नुकसान

अमरनाथ की गुफा का पौराणिक इतिहास 
कश्मीर घाटी में राजा दश और ऋषि कश्यप और उनके पुत्रों का निवास स्थान था. पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार कश्मीर की घाटी जलमग्न हो गई. उसने एक बड़ी झील का रूप ले लिया. तब ऋषि कश्यप ने इस जल को अनेक नदियों और छोटे-छोटे जलस्रोतों के द्वारा बहा दिया. उसी समय भृगु ऋषि पवित्र हिमालय पर्वत की यात्रा के दौरान वहां से गुजरे. तब जल स्तर कम होने पर हिमालय की पर्वत श्रृखंलाओं में सबसे पहले भृगु ऋषि ने अमरनाथ की पवित्र गुफा और बर्फ के शिवलिंग को देखा. माना जाता है कि तब से ही ये स्थान शिव आराधना और यात्रा का प्रमुख देवस्थान बन गया, क्योंकि यहां भगवान शिव (history of amarnath yatra) ने तपस्या की थी. 

अमरनाथ धाम का रहस्य 

अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिमलिंग दर्शन के साथ ही माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है. 51 शक्तिपीठों में से महामाया शक्तिपीठ इसी गुफा में स्थित है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यहां देवी सती का कंठ गिरा था. 

माना जाता है कि शिव-पार्वती की अमरकथा सुनकर अमर हुआ कबूतर का जोड़ा अब भी यहां कई बार देखने को मिलता है.

यह भी पढ़े : Vat Purnima 2022 Vrat Banyan Tree Significance: वट पूर्णिमा व्रत के दौरान बरगद के वृक्ष का जानें महत्व, हर बाधा होगी दूर

ये दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है. हर साल यहां श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूरा होता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी घट जाता है.

बर्फ के शिवलिंग के बाईं ओर दो छोटे बर्फ के शिवलिंग भी बनते हैं. कहा जाता है कि ये मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक हैं.

हर साल इस गुफा में बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है. बर्फ का शिवलिंग, गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से बनता है. बेहद ठंड की वजह से पानी जम जाता है और बर्फ के शिवलिंग का आकार (amarnath gufa mystery) ले लेता है.  

उप-चुनाव-2022 Amarnath Yatra 2022 अमरनाथ यात्रा इतिहास Amarnath yatra history amarnath gufa secret amarnath yatra katha amarnath dham siginificance amarnath temple history amarnath cave history amarnath cave mystery
Advertisment
Advertisment