भाद्रपद माह (Bhadrapada month 2022) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष से पहले पड़ने वाली इस भाद्रपद अमावस्या (Bhadrapada Amavasya 2022) को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन दान-पुण्य करना, तर्पण करना बहुत अच्छा माना जाता है. इसके साथ ही ये कुंडली के कई दोष जैसे- पितृ दोष, काल सर्प दोष के कारण होने वाले कष्टों से निजात पाने के लिए भी अहम होती है. इस साल भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त 2022 को पड़ रही है.
यह भी पढ़े : Bhadrapada Amavasya 2022 Date and Shubh Muhurat: भाद्रपद अमावस्या पड़ेगी इस दिन, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
चूंकि भाद्रपद मास भगवान कृष्ण को समर्पित है, इसलिए इससे भाद्रपद अमावस्या का महत्व (Bhadrapada Amavasya 2022 date) भी बढ़ जाता है. भादो मास की अमावस्या पर पूजा के साथ-साथ दान कार्य करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. कहा जाता है कि इस दिन धार्मिक कार्यों, श्राद्ध आदि में प्रयुक्त घास को यदि एकत्र किया जाए तो वह पुण्य फलदायी होता है. तो, चलिए इस दिन पर बन रहे शुभ योग और पूजन विधि (Bhadrapada Amavasya 2022 vrat) के बारे में जान लेते हैं.
यह भी पढ़े : Feng Shui Tips For Happiness And Prosperity: जीवन में सुख-समृद्धि और धन पाएं, फेंगशुई के इन टिप्स को अपनाएं
शिव योग में भाद्रपद अमावस्या 2022 -
भाद्रपद के महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 अगस्त से शुरू हो रही है. ये 26 अगस्त, शुक्रवार की दोपहर 12:22 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त, शनिवार की दोपहर 01:47 बजे तक रहेगी. भाद्रपद अमावस्या के दिन शिव योग बना हुआ है. इस दिन प्रात:काल से लेकर अगले दिन 28 अगस्त को 02:07 एएम तक शिव योग है. इस योग में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं. ये एक शुभ योग है. माना जाता है कि शिव योग में की गई पूजा-उपायों का कई गुना (Bhadrapada Amavasya 2022 shiv yog) फल मिलता है.
यह भी पढ़े : Chanakya Niti For Wisdom: इसे खरीदने में धनवान व्यक्ति का पैसा भी नहीं आता काम, भ्रष्ट होने से पहले बचा लें
भाद्रपद अमावस्या 2022 पूजन विधि -
इस दिन की पूजा विधि की बात करें तो भाद्रपद अमावस्या के दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देने के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें. इसके बाद पितरों की शांति के लिए गंगा तट पर पिंडदान करें. पिंडदान के बाद, किसी गरीब या जरूरतमंद को दान दक्षिणा दें. अगर आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो, भाद्रपद अमावस्या के दिन इसका छुटकारा पाने के लिए पूजा अर्चना करें. अमावस्या के दिन, शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों (Bhadrapada Amavasya 2022 pujan vidhi) को स्मरण करें.