ज्योतिष शास्त्र (jyotish shastra) और कुंडली में राहु-केतु के शुभ-अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कई रत्नों के बारे में बताया गया है. लेकिन ज्योतिष अनुसार रत्न हमेशा ज्योतिष की सालह से ही धारण करना चाहिए. बिना ज्योतिष की सालह और कुंडली दिखाए रत्न धारण करने से उनका विपरीत प्रभाव पड़ता है. रत्न शास्त्र में हर ग्रह के हिसाब से रत्न (cat eye stone wearing rules) बताए गए हैं. इसका मुख्य कारण ग्रह से संबंधित रिश्ते की उपेक्षा है.
कई बार देखा जाता है कि रत्न धारण करने वाले जाने या अनजाने में संबंधित रिश्ते की उपेक्षा करते हैं या उनके प्रति उतना सम्मान नहीं प्रदर्शित करते हैं जो करना चाहिए तो रत्न कभी भी पूरा फल नहीं देंगे जिसके लिए उन्हें धारण किया गया है. केतु का सकारात्मक यानी पॉजिटिव फल पाने के लिए लहसुनिया रत्न (cat eye stone) को धारण किया जाता है. जब तक केतु से संबंधित रिश्ते को सम्मान नहीं देंगे उसका पूर्ण शुभ और अधिक से अधिक फल (cat stone benefits) नहीं प्राप्त हो सकता है.
राहु और केतु की पौराणिक कथा
समुद्र मंथन के समय बहुत-सी दिव्य वस्तुएं निकलीं थी. जिनमें से अमृत भी था. पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत की चाहत में एक असुर स्वरभानु वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया. अमृत वितरण का कार्य विष्णु जी कर रहे थे और उन्होंने इसकी शुरुआत देवताओं की तरफ से की. उन्होंने जान लिया कि देवताओं में एक असुर भी आकर बैठ गया है. लेकिन, तब तक वे अमृत ग्रहण कर चुका था. विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर भानु राक्षस का सिर काट दिया.
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कटा हुआ सिर असुरों की पंक्ति की तरफ गिरा जिसका नाम राहू पड़ा और देवताओं की पंक्ति में धड़ गिर पड़ा जिसका नाम केतु (rahu ketu mythology story) पड़ा. यहां पर राहु और केतु में अंतर को समझना आवश्यक है. राहू असुरों की पंक्ति में गिरा तो उसकी प्रवृत्ति आसुरी हो गई. वह एक पापी ग्रह है जबकि केतु के देवताओं की पंक्ति में गिरने से वह शुभ ग्रह हो गया, यह ग्रह वैराग्य या सन्यास देने वाला है.
रत्न से करें ये उपाय
जिन लोगों के दादी और नानी नहीं है. उन्हें किसी सन्यासी या अलमस्त फकीर से संपर्क रखना चाहिए. सन्यासी केवल गेरुआ वस्त्र धारण करने वाला नहीं बल्कि जो धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के हैं. उनका आशीर्वाद या सत्संग लाभ देगा. ऐसे सन्यासी के संपर्क में रहें जो सभी प्रकार के भौतिक सुखों को छोड़कर पर्वतों की कंदराओं या जंगलों में चले गए हैं. केतु हमेशा स्प्रिचुअलिटी देता है. लहसुनिया हमेशा केतु के कोप को कम करती है किंतु केतु की तासीर में सुख समृद्धि देना नहीं है. जो बात उसके अंदर नहीं है. वह कहां से देगा. वह तो गूढ़ ज्ञान दे सकता है. वह तो आपके मन को माया मोह से वैराग्य की ओर ले जा सकता है. केतु या लहसुनिया कभी भी मेटलिस्टिक गेन नहीं कराएंगे.
कई बार देखा जाता है कि रत्न धारण करने वाले जाने या अनजाने में संबंधित रिश्ते की उपेक्षा करते हैं या उनके प्रति उतना सम्मान नहीं प्रदर्शित करते हैं जो करना चाहिए तो रत्न कभी भी पूरा फल नहीं देंगे जिसके लिए उन्हें धारण किया गया है. केतु का सकारात्मक यानी पॉजिटिव फल पाने के लिए लहसुनिया रत्न को धारण किया जाता है. जब तक केतु से संबंधित रिश्ते को सम्मान नहीं देंगे उसका पूर्ण शुभ और अधिक से अधिक फल नहीं (cat eye stone upay) प्राप्त हो सकता है.