हिंदू धर्म में चातुर्मास (Chaturmas 2022) का बहुत महत्व होता है. ये आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होता है. ये कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को खत्म होता है. ये ज्योतिष में भी बहुत अहम माना गया है. साधारण भाषा में कहें तो, चातुर्मास देवशयनी एकादशी को शुरु होता है. इस साल 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इस दिन से ही चातुर्मास (Chaumasa 2022) शुरू हो जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चार माह के लिए चले जाते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि योग निद्रा से बाहर आते हैं, तब चातुर्मास (chaturmas 2022 pramukh sandesh) का समापन होता है. देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं.
संयम और ठहराव -
चातुर्मास संयम को साधने का संदेश देता है. इसमें मन, आचरण और व्यवहार का संयम आवश्यक है. संयमित आचरण से हम मन को वश में करना सीखते हैं, साथ ही धैर्य और समझ भरा व्यवहार भी करते हैं. चातुर्मास ऐसा ही अवसर है. जिसमें हम स्वयं के साथ दूसरों के अस्तित्व को भी स्वीकार कर उसे सम्मान देते हैं. यह सह-अस्तित्व की भावना को प्रबल करता है. स्वयं के अंदर और बाहर के अंतर्विरोध और संघर्ष का अंत होना प्रारंभ (Facts OF Chaturmas) हो जाता है.
नियमों का व्यावहारिक पक्ष -
चातुर्मास का व्यावहारिक कारण भी है, जिनकी वजह से मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. चातुर्मास का प्रारंभ खेती-बाड़ी वाले काम की अधिकता के समय होता है. इस समय कृषि आधारित परिवार कृषि कार्य में व्यस्त रहते हैं. खेत-खलिहान में ज्यादा से ज्यादा समय देते हैं. इस स्थिति में मांगलिक कार्यक्रम या सामाजिक अनुष्ठान कर पाना संभव नहीं है. बरसात में रोग बढ़ते हैं, इसलिए भी इनको करने से बचा जाता है.
संयम और ठहराव -
चातुर्मास संयम को साधने का संदेश देता है. इसमें मन, आचरण और व्यवहार का संयम आवश्यक है. संयमित आचरण से हम मन को वश में करना सीखते हैं, साथ ही धैर्य और समझ भरा व्यवहार भी करते हैं. चातुर्मास ऐसा ही अवसर है, जिसमें हम स्वयं के साथ दूसरों के अस्तित्व को भी स्वीकार कर उसे सम्मान देते हैं. यह सह-अस्तित्व की भावना को प्रबल करता है. स्वयं के अंदर और बाहर के अंतर्विरोध और संघर्ष का अंत होना प्रारंभ हो जाता है.
प्रकृति की पूजा -
चातुर्मास प्रकृति की पूजा करने का समय है. इस अवधि में पृथ्वी पर असंख्य जीव, नन्हें पौधे और वनस्पतियों का सृजन होता है. चातुर्मास में पीपल को जल देने, तुलसी को सींचने और अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा पर्यावरण को सहेजने का ही कार्य है. पर्यावरण को सहेजने का भाव हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. जीवनदायनी तुलसी, आंवला और पीपल के पेड़ और पौधों को रक्षा चातुर्मास के नियमों (Importance Of Chaturmas 2022) का हिस्सा है.